स्वास्थ्य के प्रति सभी चिंतित रहते हैं, शारीरिक कष्ट होने पर उपचार कराते हैं पर मानसिक अस्वस्थता को अनदेखा करते रहते हैं। मानसिक स्वास्थ्य के बिना पूर्णरूप से शारीरिक रूप से स्वस्थ होना भी संभव नहीं है। मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति में ही व्यक्तित्व और भावनाओं का वास्तविक विकास भी संभव है जिससे इंसान शांतिपूर्वक घर व समाज में रह सकता है और जीवन में सफलता प्राप्त कर सकता है। 

मानसिक व्याधि की पहचान या तो स्वयं के आचार-विचार के बारे में ठंडे दिमाग से आत्म- विश्लेषण करने से या दूसरे समझदार व्यक्तियों द्वारा की जा सकती है। मानसिक व्याधि से ग्रसित व्यक्ति ज्यादातर स्वयं को तब तक पूर्णतः स्वस्थ समझते हैं, जब तक कि इसके कारण उनको कोई शारीरिक कष्ट नहीं होता।

चिंता, परेशानी, अहं पर चोट, भावनाओं का अनादर, तनाव, अशांति, गृहकलह, आर्थिक परेशानी, मशीनीकरण, ईष्र्या, शहरीकरण, घर का घुटन भरा माहौल, स्वयं या परिवारजन की बीमारी, आर्थिक असुरक्षा, तिरस्कार, बर्बरता, अतृप्त इच्छाएं, अत्यधिक महत्वाकांक्षा, आशाओं पर तुषाराघात इत्यादि कारणों से कोई भी व्यक्ति मानसिक रूप से अस्वस्थ हो सकता है।

कुछ बातें, जिन्हें ध्यान में रखें:- मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए कुछ तत्वों का पालन आवश्यक है, इनमें से प्रमुख तत्व निम्न है- 

1. बच्चे घर में सुरक्षित महसूस करें, ऐसे वातावरण का निर्माण करें। अत्यधिक सुरक्षा भी प्रदान न करें, इससे उनके व्यक्तित्व का विकास बाधित होता है। 

2. प्रतिष्ठा के लिए सामथ्र्य से अधिक प्रयास न करें। 

3. स्वयं की गलतियों व दोषों को खुले मन से स्वीकार करें। 

4. अच्छी आदतों और अभिरुचियों को विकसित करें। 

5. जीवन में सदैव नया सीखते रहने की इच्छा बनाए रखें। दूसरों की आलोचनाओं से न घबराएं। अपना कार्य करते रहें।

6. जीवन में संभावित लक्ष्य ही निर्धारित करें। 

7. शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने का प्रयत्न करें, रोगों से बचाव के उपाय करें। यदि रोग से ग्रसित हैं तो योग्य चिकित्सक से उपचार करवाएं। 

8. जीवन में कुछ समय स्वयं के लिए भी निकालें, मनोरंजन के उपाय करें, यदि कोई शौक  हैं तो उनको पूरा करें, यदि नहीं है तो नए शौक उत्पन्न करें। 

9. सुबह-शाम टहलें, कसरत करें या पसंदीदा खेल खेलें, इससे तनाव दूर करने में मदद मिलती है, गहरी नींद आती है और मन प्रसन्न रहता है। 

10. धर्म पर विश्वास भी तनाव से बचने का उत्तम माध्यम है। धर्मानुसार विचार-व्यवहार बनाएं। इससे मन की शक्ति प्राप्त होगी और मानसिक स्वास्थ्य में वृद्धि होगी। 

11. आत्मविश्वास उत्पन्न करें, असफलताओं से हार न मानें, पुनः प्रयत्न करें, सफल होंगे।

12. मेडिटेशन, योग, ध्यान, प्राणायाम, पूजा इत्यादि तनाव कम करने और मानसिक शांति प्रदान करने के उत्तम माध्यम है। इनको दिनचर्या में समाहित करें। 

13. यदि किसी भी समस्या का समाधान स्वयं न खोज पा रहे हो तो समझदार शुभचिंतक से सलाह लेने में हिचके नहीं। 

14. मन में सदैव सकारात्मक विचार रखें, शुभ-शुभ सोचें।

नकारात्मक विचारों को यथासंभव दूर रखें।

मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति ही जीवन में सफलता और समाज में सम्मान प्राप्त करते हैं। मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति ही शारीरिक रूप से भी स्वस्थ रहता है। यदि आप मानसिक रूप से अस्वस्थ हैं तो शर्माए या हिचके नहीं, बेहिचक मनोरोग चिकित्सक से परामर्श लें, वह या तो आपकी समस्या को समझकर आपकी उचित मनोचिकित्सा करेगा या आवश्यकता होने पर औषधि लेने का परामर्श देगा, जिससे कि आप पुनः मानसिक रूप से स्वस्थ होकर सफलता प्राप्त करेंगे।

आयुर्वेदीय उपचार

1. मानसिक दुर्बलता, घबराहट, चिंता, क्रोध और हर वक्त उदास रहने वाले रोगियों के लिए निम्नलिखित नुस्खा आशा की नई किरण सिद्ध हुआ है। इसे 40 दिन तक लेने से सभी मानसिक उपद्रव शांत होकर गहरी नींद आने लगती है। मानसिक शक्ति व स्वास्थ्य बढ़ता है।

पहले भस्में तथा बाद में चूर्ण डालकर एक घंटा तक मर्दन करके यानी घोटकर बराबर वजन की 80 पुड़िया बना ले। प्रातः-सायं 1-1 पुड़िया शहद में मिलाकर चाटकर गो दूग्ध पीना चाहिए। रात को सोते समय भी लेना लाभप्रद है। इससे शांत तनावरहित नींद आ जाती है।

2.यदि अधिक तनावग्रस्त हों तो दो गोली सर्पगंधा घनवटी ताजे जल से सेवन कर कुछ देर के लिए सो जाएं। नित्य प्रति अश्वगंधादि चूर्ण 2 ग्राम प्रातः ताजे जल से लें। ब्राह्मी वटी दो गोली सुबह-शाम ताजे जल से लें। 

3.चतुर्मुख रस एक गोली, शिरःशूलादि वज्र रस एक गोली सुबह ताजे जल से लें। ब्राह्मरसायन दो चम्मच गाय के दूध से रात में सोते समय ले। 

4. स्मृति सागर रस एक गोली, वातगजांकुश रस एक गोली सुबह-शाम ताजे जल से सेवन करें। 

5. प्रातःकाल 1 आंवले का मुरब्बा जिस पर शुद्ध चांदी का वर्क चढ़ा हो, खाकर गाय का कुनकुना दूध पिएं। आधा घंटेबाद दो चम्मच सारस्वतारिष्ट समान भाग पानी मलाकर सेवन करें। 

6. ब्राह्मी घृत 10 ग्राम को मिश्री तथा शहद के साथ मिलाकर प्रतिदिन सेवन करने से मानसिक रोगी को बहुत लाभ होता है। 

7. रस सिंदूर, बंग भस्म, अभ्रक भस्म बराबर-बराबर लेकर खरल कर ले। एक समय एक मक्का के दाने के बराबर यह मिश्रण- मधु या शतावरी रस के साथ सेवन कराएं। 

पथ्य:- गाय का धारोष्ण दूध, बकरी का दूध, गेहूं, चावल, मूंग, परवल, मुनक्का, अंजीर, अनार, मौसबी, आंवला, नारियल पानी, सिर पर बादाम रोगन की मालिश, नींद, श्रेष्ठ पुरुषों की गाथाएं, सुभाषित सुनाना आदि। 

अपथ्य:- भय, शोक, चिंता, दुःख आदि। रोगी को अकेले नदी, कुआं, आम सड़क पर न जाने दें। 

डॉ . हनुमान प्रसाद उत्तम,
कानपुर

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