सेहत की सौगात, पुस्तकों के साथ स्वास्थ्य का प्रसार, सुखी रहे संसार

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पंचकर्म, अर्थात् पांच ऐसे कर्म जो शरीर में उपस्थित विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकालकर हमें स्वस्थ एवं निरोगी बनाते हैं। इस पुस्तक में सरल भाषा में पंचकर्म के विभिन्न चरणों की जानकारी के साथ ही बाॅडी सर्विसिंग, केरलीय पंचकर्म, रसायन, अग्निकर्म, क्षारकर्म, शिशु व प्रसूता की मालिश, रोगानुसार पंचकर्म आदि के बारे में भी विस्तृत विवरण दिया गया है।

सेक्स अज्ञानता अथवा भ्रामक जानकारी युवा वर्ग के लिए बेहद हानिकारक है। इस पुस्तक में न सिर्फ समस्त यौन भ्रांतियों एवं समस्याओं का निराकरण किया गया है, बल्कि इससे जुड़े विभिन्न पहलुओं को वैज्ञानिक ढंग से सामने लाया गया है। इस पुस्तक में धातुरोग, स्वप्नदोष, हस्तमैथुन, शीघ्रपतन, नपुंसकता, स्त्रियो में कामशीतलता इत्यादि सेक्स समस्याओं की जानकारी दी गई है। इसके अलावा विवाह – पूर्व ब्रह्मचर्य के महत्व पर भी प्रकाश डाला गया है।

भारत सरकार द्वारा पुरस्कृत इस पुस्तक में योग के इतिहास, विकास यात्रा से आधुनिक जीवन में इसके महत्व तक की समग्र जानकारी दी गई है। इसमें योग संबंधी भ्रांतियां, योग व शारीरिक शिक्षण का संबंध, प्राणायाम, आसन व योगनिद्रा, रोगानुसार व व्यवसायानुसार योगासन का विस्तृत वर्णन है। इसके अलावा सहज-सरल भाषा में योग की विभिन्न विधाओं व आहार-विहार के संबंध में विस्तृत मार्गदर्शन किया गया है। पुस्तक सचित्र है।

भारत सरकार द्वारे पुरस्कृत या पुस्तकात योगाचा इतिहास, विकास व आधुनिक जीवनात योगाचे महत्वाची संपूर्ण माहिती दिलेली आहे. यात योगासंबंधी गैरसमज, योग व शााररिक शिक्षणाचा संबंध, प्राणायाम, आसन व योगनिद्रा, योगांसना द्वारे रोगोपचार, व्यवसायानुसार योगासनाचा विस्तृत वर्णन आहे. या व्यतिरिक्त सरळ भाषेत योगची विभिन्न कृति व यौगिक आहार-विहाराचा विस्तृत मार्गदर्शन केलेले आहे. पुस्तक सचित्र आहे.

लेखक परिचय

वर्ष 1990 से पुराने व असाध्य रोगों पर सफल आयुर्वेदिक पंचकर्म चिकित्सा सेवा प्रदान कर रहे डाॅ. ममतानी दंपति, जीकुमार आरोग्यधाम के संचालक व स्वास्थ्य वाटिका पत्रिका के संपादक भी हैं। आरोग्यधाम हेल्थ केयर सोसायटी के तहत इन्होंने अनेक स्थानों पर निःशुल्क आयुर्वेदिक, पंचकर्म व योगोपचार संबंधी शिविर, परिचर्चाओं व व्याख्यानों का आयोजन किया है। भारतीय चिकित्सा पद्धति के प्रचार-प्रसार हेतु अनेक समाचारपत्रों, पत्रिकाओं में लेखन के अलावा आकाशवाणी, दूरदर्शन पर इनकी स्वास्थ्य संबंधी वार्ताएं नियमित रूप से प्रसारित होती हैं। डाॅ. ममतानी दंपति को उनकी सेवाओं हेतु अनेक राष्ट्रीय पुस्कारों से भी सम्मानित किया गया है।

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