पहले यह बीमारी ज्यादातर बुजुर्गों में ही देखने को मिलती थी, लेकिन तनाव की वजह से अब कम उम्र के व्यक्ति भी इसका शिकार बन रहे हैं। अल्जाइमर के बढ़ने की एक मुख्य जागरूकता की कमी भी है। इसे लोग गंभीरता से नहीं लेते। ज्यादातर लोग मानते है कि उम्र के साथ याददाश्त का कमजोर होना सामान्य है। इस वजह से अधिकतर लोग बिना ट्रीटमेंट के कई तरह के पर्सनेलिटी डिसआर्डर का सामना कर रहे है। लोगों की इसी सोच को बदलने के उद्देश्य से हर साल 21 सितंबर को वल्र्ड अल्जाइमर डे मनाया जाता है।

एक रिपार्ट के अनुसार भारत में 40 लाख से ज्यादा लोग अल्जाइमर के शिकार है। अल्जाइमर…डिमेंशिया का एक ही प्रकार है। दुनिया भर में चार करोड़़ से ज्यादा लोग डिमेंशिया के मरीज है। विज्ञान कहता है कि बढ़ती उम्र में भी आप अपने दिमाग की सेहत को बरकरार रख सकते हैं। जैसे नींद अल्जाइमर के खिलाफ सबसे ज्यादा कारगर है। अगर आप आठ घंटे की पूरी नींद लेते हैं तो यह आपको टॉक्सिन फ्री रखती है। इसी तरह एक रिसर्च बताती है कि अगर आप दो भाषाएं बोलते है तो अल्जाइमर का खतरा औसतन चार साल तक घट सकता है।

कारण :-

अधिकांश मामलों में अल्जाइमर रोग आनुवांशिकी से संबंधित होते है। कुछ सिद्धांतो के अनुसार कॉपर या एल्यूमीनियम जैसी धातुएं संभवतः अल्जाइमर रोग में भूमिका निभाते है।

मस्तिष्क का कुछ भाग समय के साथ सिकुड़ने लगता है। बढ़ती उम्र खासकर वृद्धावस्था में मस्तिष्क की कोशिकाओं के मृत होने और इनमें असामान्य रूप से प्रोटीन के संचित होने को अल्जाइमर का कारण माना जाता है, लेकिन इस रोग के कारणों पर अभी तक शोध-अध्ययन जारी है। मस्तिष्क की कोशिकाओं के चारों ओर एमीलोइड प्लेक नामक एक प्रोटीन दिखने लगता है। इसके साथ मस्तिष्क कोशिकाओं के भीतर टाऊ नामक एक दूसरा प्रोटीन इकट्ठा होने लगता है। मस्तिष्क में न्युरो ट्रांसमीटर एसिटिलकोलाइन और ऐसे ही दूसरे मस्तिष्कीय रसायनों के कम बनने से भी इस रोग की शुरुआत होते देखी जाती है।
इसके अलावा डिमेंशिया के लक्षण हायपोथायडिज़म, विटामिन बी 12, सोडियम, विटामिन डी की कमी में भी मिलते है। किसी दुर्घटना के समय सिर में चोट लगने से भी भूलने का रोग हो जाता है।

लक्षणः-

  1. अलज़ाइमर्स के मरीजों की याददाश्त धीरे-धीरे कमजोर होती जाती है।
  2. थोड़ी देर पहले कही बात या घटी घटना का एकदम भूल जाना इस रोग का सबसे प्रमुख लक्षण माना जाता है लेकिन अधिकांश को पुरानी बातें याद रहती है।
  3. नई चीजों को समझने की क्षमता में कमी
  4. बात को दोहराना और एक ही बात बार-बार पूछना
  5. व्यवहार, मनोदशा, व्यक्तित्व और समझ में परिवर्तन
  6. चेहरे और वस्तुओं को पहचानने में दिक्कत
  7. पढ़ने में कठिनाई
  8. स्थान को ढूंढने में कठिनाई
  9. बोलने में कठिनाई, उन्हें बोलते समय उपयुक्त शब्द ध्यान में नहीं आते हैं, चीजों को रखने के बाद समय पर ढूंढ न पाना।
  10. इतना ही नहीं, उनकी लिखावट को ठीक से पढ़ पाना मुश्किल हो पाता है। अल्जाइमर्स से पीड़ित रोगियों के हस्ताक्षर तक बदल जाते हैं।
  11. सुझाव व निर्णय लेने में असमर्थ

कुछ मरीज मानसिक विकार संबंधी लक्षणों के साथ आते है जैसे चिड़चिड़ापन, उत्तेजित होना, एन्जाइटी, डिप्रेशन, निद्रा में बाधा, मुड जल्दी-जल्दी बदलना, शंकालु (Suspicious), भ्रम (Halucination), सेक्स से जुड़ी समस्याएं होना। रोग के बढ़ने पर रोगी स्वयं की देखभाल नहीं कर पाता, दूसरों से सहायता लेना चाहता है जैसे कपड़े पहनना, खाना खाना इत्यादि।कुछ रोगियों की हालत तो इतनी खराब हो जाती है कि वें स्वयं का नाम, अपने घर का पता, शयनकक्ष, अपने बिस्तर, सुबह क्या खाया, अपने मोहल्ले तक को भूल जाते हैं। अपने शरीर की स्थिति तक की उन्हें कोई सुध-बुध नहीं रहती है। समय का भी उन्हें बोध नहीं होता कि दिन है या रात। महत्वपूर्ण कार्यक्रम की तारीख याद नहीं रहती। इस से पीड़ित लोगों की याददाश्त ही नहीं घटती, उनकी निर्णय लेने की क्षमता में भी कमी आती जाती है। ऐसे रोगी गर्मियों में कई-कई कपड़े पहन लेते हैं, जबकि सर्दियों में रजाई या कम्बल तक लेना भूल जाते हैं। गंभीर लक्षण होने पर युरीन का कट्रोल नहीं होता।

महिलाओं में अल्जाइमर रोगः-

हावर्ड मेडिकल यूनिर्वसिटी के अनुसार महिला को अल्जाइमर होने का खतरा पुरूषों से ज्यादा है। महिलाएं पुरूषों के मुकाबले लंबे समय तक जीवित रहती है। इस वजह से भी बीमारी का खतरा इनमें ज्यादा होता है। रजोनिवृत्ति हो चुकी महिलाओं की संख्या में भी तेजी से वृद्धि हो रही है।

एल्जाइमर रोग का उपचारः-

आयुर्वेदिक औषधि :- आयुर्वेदानुसार अल्जाइमर्स रोग में रसायन चिकित्सा के बेहतर परिणाम मिलते हैं। रसायन का अर्थ है जो वृद्धावस्था व व्याधि को दूर करे। अल्जाइमर्स रोग में मेध्य रसायन व आचार रसायन (सद्व्यवहार) का प्रयोग किया जाता है। महर्षि चरक ने 4 वनौषधियां बताई हैं- गुडुची, मंडूकपर्णी, यष्टिमधु व शंखपुष्पी। इसके अलावा स्मृति सागर रस, ब्राह्मी वटी, सारस्वतारिष्ट, अश्वगंधारिष्ट, ब्राह्मरसायन इत्यादि औषधि चिकित्सक के परामर्श से लें।

हल्दी :- हल्दी में जो करक्युमिन नामक रसायन रहता है, वह मस्तिष्कीय कोशिकाओं पर बहुत ही सकारात्मक प्रभाव डालता है। हल्दी वाला दूध रात को नियमित पीना चाहिए।

अश्वगंधा:- आयुर्वेद शास्त्र में अश्वगंधा को रसायन द्रव्यों में शामिल किया गया है। अश्वगंधा में एंटी ऑक्सीडेंट गुण पाए हैं। इसके सेवन से शरीर में नया खून बनने लगता है। अश्वगंधा के यह सब गुण व्यक्ति को वृद्धावस्थाजन्य रोगों से सुरक्षित रखने में मदद करते हैं।

पंचकर्म :- अल्जाइमर्स के रोगी को स्नेहन, स्वेदन, बृहण बस्ति, शिरोधारा-शिरोबस्ति (माषादि व माषबलादि तेल) व नस्यकर्म से लाभ मिलता है। शिरोधारा व नस्य क्रिया कम से कम 21 दिन तक की जाती है। ज्योतिषमती तेल से सिर की मालिश (शिरोभ्यंग) याददाश्त बढ़ाती है। शिरोधारा के लिए ज्योतिषती व ब्राह्मी तेल का प्रयोग किया जाता है व नस्य हेतु बृहण नस्य जैसे- अणु तेल, पंचेन्द्रियवर्धन तेल या षड्बिंदू तेल का उपयोग करते हैं। वृद्धावस्था में नित्य प्रतिदिन 2-2 बूंद गाय का घी नाक में डालने से मस्तिष्क को तरावट मिलती है व याददाश्त अच्छी रहती है।

आहार निर्देश :- वृद्धावस्था के साथ शरीर में कई तरह के जरूरी पोषक तत्व व विटामिन की कमी से अल्जाइमर्स जैसे रोग होते हैं, अतः संतुलित व पोषक आहार का सेवन आवश्यक होता है।

  1. मछली व अलसी (Flex Seed) में ओमेगा-3 नामक वसा अम्ल (Fatty acid) पाया जाता है।
  2. जैतुन का तैल व ब्रोकली का सेवन दिमाग तेज करता है।
  3. साथ ही रात को भिगोए हुए बादाम नित्य सुबह चबा-चबाकर खाने से स्मरणशक्ति उत्तम रहती है।
  4. डाइट में अखरोट, अनार, कीवी आदि ज्यादा लें।
  5. कई ऐसे रिसर्च में देखा गया है कि जिनके शरीर में विटामिन डी की कमी होती है उनमें इसकी आशंका बढ़ती है। विटामिन डी वाली चीजें खाएं। सुबह की धूप में बैठें।

व्यायाम का महत्व :- शारीरिक सक्रियता और व्यायाम का हमेशा शरीर पर व्यापक असर होते देखा गया है। शारीरिक सक्रियता के लिए आप जिम, वाॅक, योगासन इत्यादि कर सकते हैं जिससे हैप्पी हार्मोन उत्पन्न होते हैं। 30 मिनट तक नियमित व्यायाम करना मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बेहतर तरीके से अत्यंत
लाभदायक साबित होता है।

भस्त्रिका प्राणायाम के नियमित अभ्यास से मस्तिष्कीय कोशिकाओं तक ज्यादा मात्रा में ऑक्सीजन पहुँचने लग जाती है तथा इससे मस्तिष्क लंबे समय तक सामान्य हालत में स्वस्थ रहकर अपने समस्त कार्य करता रहता है।

अन्य उपचार :- कई शोधों ने यह साबित किया है कि मस्तिष्क भी मांसपेशियों के समान ही कार्य करता है। जितना ज्यादा आप इसका इस्तेमाल करेंगे, उतना ही यह शक्तिशाली होगा। मानसिक व्यायाम नई मस्तिष्क कोशिकाओं के निर्माण में मदद कर, मानसिक स्वास्थ्य को दुरुस्त रखते हैं। नई जटिल चीजें सीखें जैसे- कोई नई भाषा, चुनौतीपूर्ण खेल शतरंज, सुडोकू, पहेली, कार्ड खेलना, क्रॉस वर्ड बेहतरीन मानसिक व्यायाम हैं।

नियमित रूप से किताबें पढ़ें व लेखन कार्य करें जिससे दिमाग सक्रिय रहेगा। आप अपने दिमाग से जितना काम लेगे वह उतना ही दुरुस्त रहेगा।

मेमोरी को बढ़ाने के उपायः-

  1. अपनी जीवन शैली को सुधारें
  2. संतुलित पौष्टिक आहार व सद्व्यवहार का पालन करें।
  3. नियमित व्यायाम करें, योगासन करें।
  4. अपने शौक (Hobby), सामाजिक व अच्छे कार्यो के लिए समय निकालें।
  5. अपनी बीमारियां डायबिटीज़, कोलेस्ट्रॉल, हृदय रोग इत्यादि को नियंत्रण में रखें।
  6. वजन न बढ़ने दे, धूम्रपान न करें, शराब का सेवन न करें।
  7. यदि बढ़ती उम्र में लोग अपना काम खुद करते है तो उन्हें अल्जाइमर रोग होने का खतरा कम होता है। अपने काम करने से दिमाग सक्रिय होता है व स्मरणशक्ति तेज रहती है।
  8. अपने ईष्ट देव का नाम स्मरण अवश्य करें।

बुढ़ापे में वृद्धजनों को प्रेम, आत्मीयता, अपनत्व और सम्मान की आशा रहती है। यदि उन्हें ऐसा आत्मसम्मान भरा वातावरण मिलता रहता है तो वे अल्जायमर्स जैसे रोग से निश्चित रूप से बचे रहते हैं किन्तु जब वृद्धों को तिरस्कार, घृणा, अपमान, तनावयुक्त वातावरण में रहकर समय व्यतीत करना पड़ता है तो वे तेजी से अपना मानसिक संतुलन गंवाने लगते हैं। उनमें आगे चलकर अल्जायमर्स, हृदय रोग, मानसिक रोग, पार्किंसन्स जैसे अनेक रोग पैदा होने लग जाते हैं। अतः बुढ़ापे में वृद्धजनों के साथ उपेक्षा या तिरस्कार भरा व्यवहार न कर, उनके साथ प्रेम, अपनत्व और आत्मीयता वाला, सम्मान वाला सद्व्यवहार करना चाहिए। इससे उन्हें अपने को प्रसन्न रखकर स्वस्थ बनाए रखने में मदद मिलती है। साथ ही संतुलित व पोषक आहार, उचित देखभाल (Family support), औषधियों व आयुर्वेदिक पंचकर्म, व्यायाम के द्वारा इन्हें स्वस्थ रखा जा सकता है।

डॉ. जी.एम. ममतानी एम.डी.
(आयुर्वेद पंचकर्म विशेषज्ञ)
‘जीकुमार आरोग्यधाम’, 238,
नारा रोड, गुरु हरिक्रिशनदेव मार्ग,
जरीपटका, नागपुर-14
फोन : (0712) 2646700, 2646600, 3590400
9373385183 (Whats App)

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