जरीपटका स्थित जीकुमार आरोग्यधाम में आरोग्यधाम हेल्थकेयर सोसायटी के तत्वाधान में स्वर्णप्राशन संस्कार व बालरोग शिविर का आयोजन प्रतिमाह की तरह पुष्यनक्षत्र दि. 31 मार्च 2023 (शुक्रवार) सुबह 12 से 3 व शाम 7 से 9 बजे तक किया गया। ‘घर-घर में आयुर्वेद’ के अपने आदर्श वाक्य को ध्यान में रखते हुए आरोग्यधाम हेल्थ केयर सोसाइटी आयुर्वेद के पारंपरिक विज्ञान के प्रचार में विश्वास करती है। अपने प्रसार को बढावा देने के लिए मध्य भारत और आसपास के विभिन्न स्थानों पर नियमित स्वास्थ्य जांच शिविर व व्याख्यान आयोजित किए जाते है जिसके अंतर्गत यह 223 वां शिविर था।

डॉ. जी.एम.ममतानी ने बताया के बच्चों मे किये जानेवाले मुख्य 16 संस्कारों मे से स्वर्णप्राशन स्वास्थ्य की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण संस्कार है। आधुनिक वैद्यकीय प्रणाली में जिस प्रकार बच्चों की रोग प्रतिकार शक्ति बढ़ाने और बच्चों को सामान्य रोगों से बचाव के लिए भिन्न-भिन्न टीके (Vaccines) का इस्तेमाल किया जाता है, ठीक उसी प्रकार आयुर्वेद के काल से बच्चों को रोग प्रतिकार शक्ति बढ़ाने के लिए स्वर्णप्राशन संस्कार विधि की जाती है। यह एक प्रकार से आयुर्वेदिक टीकाकरण (Immunization) की प्रक्रिया है। स्वर्णप्राशन संस्कार में बच्चों को आयुर्वेदिक औषधि से सिद्ध शुद्ध स्वर्ण का मिश्रण चटाया जाता है। यह संस्कार महिने में एक बार पुष्य नक्षत्र के दिन करते है। जन्म से लेकर 16 वर्ष के आयु तक के बच्चों में स्वर्णप्राशन संस्कार किया जाता है। बच्चों की बुद्धि का 90 प्रतिशत विकास 5 वर्ष की आयु तक हो जाता है और इसलिए जरुरी है कि उन्हें बचपन से ही स्वर्णप्राशन किया जाए।

जीकुमार आरोग्यधाम के संचालक डॉ.जी.एम.ममतानी व डॉ. अंजू ममतानी के अनुसार स्वर्णप्राशन कराने से बच्चो में रोग प्रतिकारशक्ति (Immunity) बढ़कर कोविड से बचाव होता है व स्वस्थ आयु बढ़ाता है। बच्चे शारीरिक व मानसिक रुप से मजबूत बनते है और उनका स्टेमिना (Stamina) हम उम्र के बच्चों से ज्यादा बेहतर रहता है तथा बुद्धि व स्मरण शक्ति तेज होती है। हायपरएक्टिव व गुस्सा करने वाले बच्चों को स्वर्णप्राशन लाभ देता है व पाचन क्रिया ठीक से होती है जिससे भूख अच्छी लगती है। बच्चों के रंग और रुप में भी निखार व वाणी स्पष्ट करता है। एलर्जी के कारण उत्पन्न कफविकार जैसे बार-बार सर्दी, बुखार, खांसी, दमा, बालकफ और खुजली, टान्सीलाइटिस, कृमि की समस्या दूर होती है। वजन व लंबाई समयानुसार बढ़ती है व रात को बिस्तर गीला करने की आदत छूटती है। एक साल का होने पर भी चलने में असमर्थ होने पर स्वर्णप्राशन करने से लाभ प्राप्त होता है।

जीकुमार आरोग्यधाम में पिछले 5 वर्षों से हजारों बालकों ने स्वर्णप्राशन शिविर का लाभ लिया है और पाया गया है कि बार-बार होनेवाली बीमारियां जैसे मौसम परिवर्तन होने पर सर्दी, खांसी, पेट की तकलीफ इत्यादि कम हुई है। शिविर में आए हुए पालकों को स्वास्थ्य वाटिका पत्रिका निःशुल्क दी जाएगी।

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