आम का पना
कच्चे आम का मीठा पना तो ग्रीष्म ऋतु में दवा का काम करता है। गर्मियों के लिए ज्यादा फायदेमंद पेय है। लू लगने पर इसका सेवन करने से रोगी को शीघ्र राहत मिलती है। अतः प्रतिदिन धूप में जाने से पहले इसका अवश्य सेवन करें। कच्चे आम को लेकर उबाल लें। उबालने के पश्चात इसका गुदा निकाल लें तथा महीन पीस लें। इसमें जल, शक्कर तथा नमक मिलाएं तथा कुटी हुई बर्फ मिलाकर सेवन करें। यदि थोडा़ सा केवडा़ भी डाल दें तो अधिक अच्छा रहेगा, इसे आम का पना कहा जाता है। इसे पीने से लू की तकलीफ दूर हो जाती है।
शहतूत का शर्बत
शहतूत का सेवन ग्रीष्म ऋतु में ही फायदेमंद होता है क्योंकि इसका शीतल शर्बत के रुप में प्रयोग होता है। शर्बत तैयार करने के लिए एक किलो पके हुए शहतूत, दो किलो चीनी और दो लीटर पानी की आवश्यकता होती है। सर्वप्रथम एक लीटर जल में शहतूत को ठीक ढंग से भिगो दें। तत्पश्चात धीरे-धीरे आग में पका लें। जब शहतूत में से भली-भांति रस निकल आए, तो उसे उतार लें। एक लीटर जल में चीनी को पकाकर अलग चाशनी तैयार करें और दोनों चीजों को एक साथ धीमी आंच पर गर्म करें। पकने पर कुछ गाढ़ापन आने लगे, तो उतार कर सूती कपड़े या छान लें तथा शीतल कर बोतलों में रखें।
शर्बत उष्णता का शमन करता है, बढी हुई तृषा में कमी लाता है। ज्वर, जुकाम, चेचक, गले की व्याधियां, उदर कृमि, प्रवाहिका और ऑतो के घाव में यह लाभकारी होता है।
दही की लस्सी
गर्मी के दिनों में शरीर की गर्मी तथा बेचैनी को दूर करने के लिए दही की लस्सी बनवाकर उसमें थोडा पिसा सेंधा नमक और भुना हुआ जीरा, पुदीना मिलाकर पीने से गर्मी और बेचैनी दूर होती है साथ ही शरीर में स्फूर्ति तथा दिमाग में ताजगी आती है। दो घंटे में दही जमाने के लिए बर्तन के चारों तरफ जामन लगा दें, गुनगुने दूध में जामन मिलाकर बर्तन में दूध भर गर्म कपडे़ से ढंककर धूप में या गरम पानी में रख दें दही जम जाएगा। यह दही ताजा मीठा और शक्तिदायक है, अधिक खट्टा दही नही खाना चाहिए।
चंदन का शर्बत
चंदन का शर्बत पीना लाभकारी है क्योंकि यह शीतल गुणों से युक्त है। चंदन का शर्बत बनाना हो तो 250 ग्राम श्वेत चंदन का बुरादा मिलाकर उसे रात्रि भर रखा रहने दें। सबेरे इसे हल्का सा उबाल लें। शीतल हो जाने पर मसलकर छान लें और इसमें करीब 300 ग्राम के करीब मिश्री पीसकर मिला लें। यह शर्बत काया को शीतलता प्रदान करता है और तृषा को शांत करता है।
इमली का पेय
काया की उष्णता खत्म करने के लिए इमली से उत्तम पेय बनाया जा सकता है जो भोजन के प्रति अरुचि दूर करने वाला पाचक होता है। बीज निकाली पकी हुई इमली का गूदा 40-50 ग्राम लेकर 350 ग्राम पानी में भिगोकर रख दें। दो-तीन घंटे साफ पानी को निथारकर छान लें। फिर उसमें भुना जीरा, पुदीना चूर्ण मिश्री अथवा चीनी मिलाकर पीएं। इससे गर्मी के कारण होने वाली प्यास की तेजी कम होती है।
खस का शर्बत
एक लीटर पानी में ढाई किलोग्राम शक्कर डालकर चाशनी बना लें। इस चाशनी में 250 ग्राम खस का काढा मिलाकर पका लें। शर्बत को साफ और पारदर्शी बनाने के लिए बीच-बीच में दूध की कुछ बूंदे चाशनी में डालते जाएं जिससे मैल निकल जाए। इस तरह शर्बत तैयार हो जाता है। शर्बत को बोतलों में भर कर रख लें। शर्बत रक्त पित्त, पित्तज विकार, नेत्रों की कालिमा, दाह, तन-मन की थकान को दूर करता है। तृप्तिदायक, तृषाशामक, पेशाब संबंधी व्याधियों का शमन, पेशाब की दाह, बेचैनी, अनिद्रा आदि में अधिक आराम पहूंचाता है।
गन्ने का रस
गन्ने का रस गर्मी के मौसम में खासतौर से फायदेमंद है। गन्ने का रस पीने से ’लू’ से राहत मिलती है। ग्रीष्म ऋतु में गन्ने का रस लगातार पीने से काया में ताजगी बरकरार रहती है। यह ऑखो के लिए भी हितकारी है। उदर की गर्मी, दिल की दाह समाप्त करने में सहायता करता है। खाना खाने के पश्चात एक गिलास गन्ने का रस पीने से रक्त शोधन होता है। पीलिया के रोगी के लिए गन्ने का रस अत्याधिक लाभकारी है। सबेरे रोजाना निरंतर गन्ना चूसने से पीलिया में जल्द फायदा होता है।
छाछ
इसे मट्ठा भी कहते है। मट्ठा अत्याधिक फायदेमंद पेय है। गर्मियों में छाछ का सेवन न केवल अच्छा लगता है बल्कि रोगों से रक्षा भी होती है। ग्रीष्म ऋतु में यह धूप तथा लू के नुकसानदायक असर से बचाव करता है। जो व्यक्ति मट्ठे का ज्यादा तथा नियमित प्रयोग करते हैं, उनकी आयु स्वास्थ्य और ताकत में इजाफा होता है। यह पाचक एवं नेत्रज्योति बढा़ने वाला भी है। मट्ठा हरदम ताजा ही सेवन करना चाहिए सुबह के नाश्ते में मट्ठा सर्वोत्तम आहार होता है। ताजी छाछ एक गिलास यथा रुचि सेंधानमक और भुना जीरा डालकर भोजन के साथ लेने से पेट में अजीर्ण या अपच नहीं रहता है।
तरबूज शर्बत
तरबूज का रस दिलोदिमाग को नवीन स्फूर्ति लाने वाला स्वादिष्ट पेय है। यह प्रकृति की तरफ से प्रदान उत्तम ठंडाई है। तरबूज के गूदे के रस में नींबू का रस, नमक,पुदीने की ताजा पत्तियां, कालीमिर्च मिलाएं। कुटी हुई बर्फ डालें तथा ठंडा पेय पदार्थ तैयार है। शर्बत प्रातःकाल पीने से बार-बार प्यास लगने की बीमारी दूर हो जाती है।
बेल का शर्बत
बेल का गुदा निकालकर हाथ से मसलकर महीन कर लें। इसमें से बीज निकाल लें। शक्कर डालें, शीतल जल में मिलाएं। शीतल पेय तैयार है। गर्मियों में यह पेय रामबाण दवा की तरह है। बेल का शर्बत पीने से लू नहीं लगती और जलन दूर कर देता है। यदि अधिक मीठा पसंद नही, तो शक्कर न मिलाएं।
खरबूजे की ठंडाई
इसके बीजों का उपयोग गर्मी के मौसम में ठंडाई के लिए किया जाता है। खरबूजे के बीजों की ठंडाई दिमाग में ठंडक पहुँचाती है। खरबूजे के ताजे बीज भिगोकर सौंफ, कालीमिर्च व गुलाब की पत्ती के साथ थोडा़ सा पानी डालकर मिक्सी में पीस लें, बारीक हो जाने पर छान लें। दूध, चीनी व केवडा़ की कुछ बूंदे मिला लें। ताजी ठंडाई तैयार है, सबेरे नित्यकर्म से निवृत्त होकर एक गिलास ठंडाई पीना हितकारी है।
पुदीने का शर्बत
धूप लगने तथा लू लगने पर पुदीने का शर्बत पीना चाहिए। पुदीने की पत्तियों को महीन पीस लें। इसमें जल एवं शक्कर मिलाएं, नींबू निचोड कर पीएं। लाभकारी साबित होगा।
फालसे का शर्बत
फालसे को उबालकर उसका गूदा निकाल लें। इसमें चीनी मिलाकर बोतल में भरकर फ्रिज में रख लें। जब भी पीने का मन करे इसमें काला नमक और पानी मिलाकर पीएं। गर्मियों के लिए यह पेय संजीवनी बूटी के समान है। मूत्र खुलकर आता है।