प्रतिस्पर्धा के इस युग में गलत लाइफस्टाइल के कारण युवाओं में हार्ट अटैक की समस्या तेजी से बढ़ रही है । हार्ट अटैक को पहले बड़े-बूढ़ों की बीमारी मानी जाती थी लेकिन आजकल 30-40 की उम्र वाले भी इसकी चपेट में आ रहे हैं । पिछले कुछ वर्षों में यह खतरनाक समस्या तेजी से बढ़ी है जो अत्यंत चिंताजनक है । भारत में लगातार हार्टअटैक के मामले बढ़ रहे हैं । बेहतर फिजिकल फिटनेस के बावजूद आज के युवा हार्ट अटैक के कारण जान गंवा रहे हैं। मेंटल स्ट्रेस, एन्ज़ाइटी, फास्टफूड का इस्तेमाल, रात को जागना या नींद पूरी नहीं लेना, ओवर टाइम और खराब लाइफस्टाइल । यह सब दिल की बीमारियों के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार है । इन्हीं सब कारणों से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ रहा है ।
हार्ट अटैक दिल की एक बीमारी है जिसमें किसी ब्लॉकेज के कारण दिल की मांसपेशियों को उचित मात्रा में ब्लड यानि रक्त नहीं मिल पाता है । कोरोनरी धमनियां दिल की मांस पेशियों में ब्लड पहुंचाने का काम करती हैं तथा एनर्जी और ऑक्सीजन के जरिए इसे जिंदा रखती हैं। कोरोनरी धमनियों की बीमारी या ब्लॉकेज के कारण दिल की मांसपेशियों में रक्त ठीक से नहीं पहुंच पाता है और इसकी वजह से हार्ट अटैक आता है। दिल की मांसपेशियों को जरूरत के हिसाब से रक्त ना मिलने पर दिल का कुछ हिस्सा काम करना बंद कर देता है तब हार्ट अटैक आता है। हार्ट अटैक को मायोकार्डियल इंफार्क्शन ,हृदयाघात या दिल का दौरा भी कहते हैं।
कौन से ऐसे कारण हैं जिनसे युवाओं में हार्ट अटैक का खतरा बढ़ रहा है ?
शोध ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पर्याप्त नींद नहीं लेने वाले युवाओं में हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा हो रहा है। पर्याप्त नींद नहीं लेने के अलावा खानपान में लापरवाही बरतना और दिनचर्या का नियमित नहीं होना भी युवाओं में हार्ट अटैक की बड़ी वजह बन रहा है। सोते समय देर रात तक मोबाइल देखने से भी नींद समय पर नहीं आती। यह भी कम उम्र में हार्ट अटैक के प्रमुख वजहों का कारण हैं क्योंकि इससे नींद के घंटे काफी हद तक कम हो जाते हैं। गलत खानपान, शारीरिक श्रम कम होना, देर रात तक जागना इत्यादि युवाओं में हार्ट अटैक की प्रमुख वजहें हैं। इसके अलावा रिलेशनशिप इश्यूज भी इसके लिए कुछ हद तक जिम्मेदार हैं। कैरियर की चिन्ता या ऑफिस के काम को लेकर हद से अधिक स्ट्रेसफुल रहना। पिछले कुछ सालों में काम करने के तौर-तरीके बहुत ज्यादा बदल गए हैं।अधिकांश युवा ऐसी जॉब्स करते हैं जहाँ कम्पटीशन बहुत ज्यादा रहता है। हर महीने मिलने वाले टार्गेट, कई घंटों तक लगातार काम का बोझ और रोज-रोजमिलने वाले नए चैलेंज से वे हमेशा गुस्से और टेंशन में रहते हैं अपने डेली रूटीन का ख्याल ना रखना और जरूरत से ज्यादा शराब और सिगरेट पीने जैसी आदतें युवाओं में हार्ट अटैक का कारण बन रहा है। ज्यादा शराब पीने से ब्लड प्रेशर बढ़ता है, जिसका सीधा असर ब्लड वेसैल्स पर पड़ने से हार्ट पंपिग शुरू हो जाता है। इससे हार्ट अटैक होने का खतरा बढ़ जाता है। अनियमित जीवनशैली, उम्र, पारिवारिक इतिहास दिल की बीमारियों और हार्ट अटैक के खतरे को बढ़ाते हैं।
आमतौर पर युवा पीढ़ी अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में जंक फूड पर निर्भर हैं, जिसमें वो तली चीजों का ज्यादातर इस्तेमाल करते हैं। इससे शरीर में कैलोरी की मात्रा बढ़ती है और इसका सीधा प्रभाव सीधा दिल पर पड़ता है। 30-45 के बीच के उम्र वाले लोग अपनी लाइफस्टाइल में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि अपने खाने पीने पर ध्यान नहीं देते हैं और बाहर की चीजों पर रोक नही लगा पाते हैं। वो सारा टाइम ऑफिस में कंप्यूटर का इस्तेमाल करते हैं और इसके बाद भी वे घर वापस आकर भी फोन इस्तेमाल करते हैं। इसमें सोशल मीडिया भी जिम्मेदार है। जिसकी वजह से वर्क लोड सीधा ब्लड वेसेल्स पर असर डालता है। इसी के कारण युवा पीढ़ी और मिडल ऐज के लोग हायब्लडप्रेशर जैसी बीमारी का शिकार होते जा रहे हैं जोकि हार्ट अटैक का कारण है। युवाओं की लाइफस्टाइल में हो रहे बदलाव से टाइप-2 डायबिटीज, मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर और खराब कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियां बेहद तेजी से बढ़ रही हैं। ये बीमारियाँ हार्ट अटैक के खतरे को और बढ़ा रही हैं।
हार्ट अटैक के लक्षण
हार्ट अटैक या दिल का दौरा आने पर कुछ लक्षण दिखते हैं, जिन्हें यदि जल्दी समझ लिया जाए तो दिल को अधिक नुकसान से बचाने के साथ ही मरीज की जान भी बचाई जा सकती है। हार्ट अटैक के ज्यादातर मामलों में छाती के बीच में या बाईं ओर असुविधा होती है, बेचैनी महसूस होती है। यह बेचैनी कुछ मिनटों के लिए हो सकती है और कई बार कुछ देर रुकने के बाद वापस दिक्कत महसूस होती है। इस बेचैनी के दौरान असहज दबाव, दिल को निचोड़ने जैसा और दर्द महसूस होता है। सीने में तकलीफ के साथ सांस लेने में दिक्कत की समस्या होती है, लेकिन सीने में दिक्कत से पहले भी सांस लेने में समस्या हो सकती है,कमजोरी महसूस होना, बेहोशी सी छाना, यही नहीं ठंडा पसीना भी आ सकता है, जबड़े, गर्दन और पीठ में दर्द व असहज महसूस होना, एक या दोनों बाहों या कंधों में दर्द, शरीर के ऊपरी हिस्से में दर्द होना। हार्ट अटैक के अन्य लक्षणों में असामान्य और बिना किसी कारण के थकान, मतली या उल्टी आना भी शामिल हैं ये लक्षण आमतौर पर महिलाओं में ज्यादा दिखते हैं। उपरोक्त लक्षणों के होने पर शीघ्रातिशीघ्र चिकित्सक् से परामर्श कर यथासंभव उपचार आरंभ कर देना चाहिए।
हार्ट अटैक के खतरे से बचने के लिए युवाओं का रूटीन कैसा होना चाहिए
युवाओं का धूम्रपान और नशीले पदार्थों से दूर रहना चाहिए। हार्ट को हेल्दी रखने के लिए डाइट का ध्यान रखें। डाइट में ज्यादा से ज्यादा ताजे फल और सब्जियों का सेवन करें। अंकुरित अनाज ज्यादा से ज्यादा लें, मल्टीग्रेन आटे का सेवन करें, कम मसाले वाली सब्जी लें, नमक-चीनी कम खाएं,खाना चबा-चबाकर खाएं। अलसी, हल्दी, लहसुन, दालचीनी, अनार, नींबू, अंगूर, तुलसी, लौकी, इलायची का नियमित सेवन करना चाहिए। बॉडी को एक्टिव रखें। प्रतिदिन नियमित रूप से शारीरिक श्रम व योगासन जैसे ताड़ासन, तिर्यकताड़ासन, कटिचक्रासन, अर्धचक्रासन, शशांकासन, उष्ट्रासन, गोमुखासन, उत्तानकुर्मासन, भुजंगासन, शलभासन, मर्कटासन, पवनमुक्तासन योग प्रशिक्षक की देखरेख में करने चाहिए। शरीर के वजन को नियंत्रित रखें। जंक फूड और नशीले पदार्थों का सेवन बंद करें।डायबिटीज, दिल के रोग और हाई बीपी या अन्य दूसरी बीमारी से पीड़ित होने पर अपने चिकित्सक के परामर्श अनुसार व देखरेख में दवाओं का समय पर सेवन करें।