पुणे जिले के जुन्नर शहर के एक प्रसिद्ध ग्राम पंचायत के सरपंच का एक दिन फोन आता है और वो कहते हैं सर, मेरे भाई की दोनों किडनी खराब हुई है और पूना के एक हॉस्पिटल के ICU में आखरी सांसे गिन रहा है तो आयुर्वेद से कुछ हो सकता है क्या? भाई बेड रिडन है। हफ्ते में तीन बार डायलिसिस चल रही है और भाई उठ भी नहीं सकता। उसकी ये हालत देखकर बड़ा दुख होता है। रूग्णालय में भर्ती करने पर रक्तदाब काफी बढ़ा हुआ था और लैब टेस्ट में Sr-creatinine 10mg से ज्यादा था यानी किडनी फेल्युअर में था। ICU में भर्ती किया गया। तुरंत डायलिसिस शुरू किया है और तब से आज पन्द्रह दिन हुए। हफ्ते में तीन डायलिसिस शुरू हैं।
हमने उसे पुनर्नवा, माका, रेवनचीनी, मुस्ता भरड़ देकर उसका काढ़ा किस प्रकार से देना है ये समझा दिया व अन्य कुछ औषधियां देकर सभी पथ्यापथ्य बता दिये। तीसरे ही दिन स्वयं पेशेंट का फोन आया। दो डोज में ही उठकर चलने लगा। आज वे तीन माले (Floor) में खुद चढ़कर ICU में गया। उसे बिल्कुल थकान या कमजोरी नहीं लगी।
एक महीना उपरान्त अपनी बीवी के साथ वह रुग्ण स्वयं मिलने और चेक करवाने आये। उसके सभी रिपोर्ट देखे हफ्ते में तीन डायलिसिस करने के बाद भी उसका Sr-creatinine level पहले 10 mg ही ज्यादा रहता था। वो अब एक महीने के बाद 8 mg रहता था। पेशेंट लक्षणविरहित हो गया था। मल मूत्र प्रवृत्ति सब प्राकृत थी। मूत्र प्रवृत्ति होने लगी थी, दौर्बल्य पूर्ण रूप से नष्ट हो गया था। रुग्ण संवेदनशील था इसलिए मैंने कहा, अब हर हफ्ते सिर्फ दो बार डायलिसिस करो, हफ्ते में दो के बजाय डायलिसिस एक बार किया। फिर भी Sr-creatinine 5mg तक रहने लगा। अब 20 दिन बाद एक डायलिसिस होता है। इस प्रकार ऐसे अनेक किडनी फेल्युअर से ग्रस्त रूग्णों ने आयुर्वेद चिकित्सा से लाभ पाया है।
अनुभविक चिकित्सा सूत्र और योग.....
वृक्क यह अवयव रक्तवह स्त्रोतस और मेदोवह स्त्रोतस से बनता है। इसलिए रक्तपाचक वटी और मेदपाचक वटी जो रक्त और मेद धात्वाग्वनि को प्राकृत करते हुए प्राकृत रक्त और मेद धातु निर्मिती करेगा। वृक्क का कार्य रक्त में बढ़े creatinine जैसे दोषों को दूर करना होता है। यानी फील्टर करते हुए ये मल पदार्थ, मूत्र मार्ग से बाहर निकालना होता है। इसलिए मूत्र निर्मिती करने वाली गोक्षुरादि गुग्गुल होती है। शरीर से मलदोष बढ़ने से एक प्रकार से आग की वृद्धि ही होती है। इसलिए आमपाचन करने के लिए सुविना (शुंठी, विडंग, नागरमोथा) जो आमपाचक होती है। शरीर से कोई भी गरविष हो तो वो बाहर निकालने का काम पुनर्नवा और भृंगराज यानि माका करता है। Sr-creatinine की निर्मिती यकृत में होती है। इसलिए पुनर्नवा + भृंगराज यकृत उत्तेजक का भी कार्य करता है। मूत्रोत्पत्ति बढ़ाने के लिए वरुणादि कषाय, गोक्षुर काढ़ा, पुनर्नवासव, Syp- Neeri KFT/ Urolit forte kc जैसी औषधि भी सपोर्टिव स्वरूप देना चाहिए। तारकेश्वर रस, सर्वतोभद्रावटी यदि रुग्ण को संभव है तो दे सकते हैं। सर्वतोभद्रावटी बहुत महंगी होने के कारण रुग्ण की आर्थिक परिस्थिति देखकर ही देनी चाहिए। पेशेंट में creatinine का रूपान्तर मलस्वरूप स्नायु में जमा होता है। इसलिए पेशेंट की त्वचा एकदम रुक्ष (Dry) होती है। इसलिए अभ्यंग तैल या बला तेल से रोजाना अभ्यंग होना जरूरी है। रक्त में हिमोग्लोबिन रहता है। हिमोग्लोबिन बनने के लिए आवश्यक इरिथ्रोपोयेटिन किडनी में बनता है इसलिए किडनी फेल्युअर पेशेंट में इरिथ्रोपोयेटिन का निर्माण न होने से खून में हिमोग्लोबिन की निर्मिती नहीं होती इसलिए CKD के पेशेंट में हमेशा पाण्डुता (Anaemia) रहता है। आधुनिक स्वरूप में कृत्रिम एरिथ्रोपोइटिन के इंजेक्शन हफ्ते में एक देते हैं। गरम पानी मे (40°C) में रुग्ण रोजाना दो बार आधा-आधा घंटा बैठता है। (अवगाह स्वेद) तो त्वक रंध्र यानी skin pore खुल जाने से स्वेद निर्मिती होकर कुछ मात्रा में मल स्वरूप बढ़ा हुआ Creatinine बाहर निकल जाता है तो रक्त में Creatinine Level भी कम हो जाती है। ये भी साथ में करने से डायलिसिस बन्द होने से मदद मिलती है। इसलिए त्वचा को शरीर की दूसरी किडनी कहते हैं।
अनुभूत औषधियां
- गोक्षुरादि गुग्गुलु 2-2 गोली
- रक्तपाचक वटी सुबह 2 गोली
- मेदोपाचक वटी रात को 2 गोली
- सुविना वटी (चैतन्य फार्मा) (1-1)
- पुनर्नवा मण्डुर 1-1 / शिलाजत्वादि वटी (प्रमेह रुग्ण को सुबह 2)
- वरुणादि कषाय /Syp Neeri KFT (Aimil)/ Urolit forte KC 2-2 च x 2 बार (बताये हुए काढ़े के साथ)
- तारकेश्वर रस 1-1
- पुनर्नवा + भृंगराज (माका) भरड चूर्ण मिलाना (50 चम्मच)+रेवनचीनी (10 चम्मच) + नागरमोथा (मुस्ता) भरड़ 10 चम्मच (एक महीने की दवा का औषधिप्रमाणे)
- अभ्यंग हेतु – अभ्यंग तैल / अश्वगन्धा तैल / बला तैल
- कुछ पेशेंट में पुनर्नवा + माका काढ़ा चालु करने के बाद पेट में मरोड़ आना शुरू होता है। चिकट आमयुक्त मलप्रवृत्ति होती है। इससे पहले से ही दुर्बल रुग्ण में और दुर्बलता बढ़ती है। इसलिए ऐसे पेशेट मे Bilagyl (सांडु) 1 चम्मच x 2 बार देते हैं। या Tab. clincliv (divine) 1-1 दो बार देते हैं। आम मलप्रवृत्ति और मरोड़ बंद होता है।
- रुग्ण की मॉडर्न औषधि तुरंत बन्द नहीं करना है। एक बार डायलिसिस बन्द करने का लक्ष्य साध्य होता है तो पेशेंट भी आधुनिक दवाईयाँ अपने निगरानी में Tapering करते हुए एक-एक बंद कर सकते हैं।
- CKD पेशेंट में पथ्यापथ्य सबसे महत्वपूर्ण होता है। मैं रुग्ण को नीचे दिये हुए पथ्य कहता हूं ।