शरीर को अत्यंत कष्ट देनेवाली व्याधि ‘किडनी विकार’ से संबंधित मार्गदर्शन लेखों के समावेश वाला स्वास्थ्य वाटिका का किडनी केअर स्पेशल अंक आपके हाथों में है । किडनी विकारग्रस्त रूग्ण दिनोंदिन बढ़ते जा रहें हैं । रोगियों के निरंतर बढ़ते आंकड़ों पर नजर डालने पर एक प्रश्न मन में सहज ही उठता है कि वर्तमान में अत्याधुनिक चिकित्सा पद्धति के अंतर्गत प्रभावी औषधियों के उपरांत भी रोगी को उपयुक्त लाभ नहीं हो पा रहा है इसका कारण है आज के मनुष्य में संयम का अभाव …। बात चाहे आहार-विहार, खान-पान की हो या रोग के प्रति गंभीरता बरतने की हम असंयमित हो गए है जब कि आदि काल से ही संयम को अधिक महत्व देते हुए इसका पालन भी किया जा रहा है।
आजकल लोग बिना डॉक्टर की सलाह से खुद अपने मन से (Self Medication) दवा लेते हैं जैसे पेनकिलर, एंटीबायोटिक इत्यादि । इन दवाओं का बार-बार सेवन किडनी के लिए हानिकारक है । साथ ही हमारी अनियमित जीवनशैली, डायबिटीज व हाय ब्लडप्रेशर के कारण किडनी विकार के रोगियों की संख्या बढ़ रही है । जानकारों का कहना है कि इस समय हॉस्पीटल में २० रोगी किडनी ट्रांसप्लांट के लिए ब्रेन डेड व्यक्ति से अंगदान का इंतजार कर रहे हैं ।
अब तक यह माना जाता था कि डायबिटीज और हाय ब्लडप्रेशर की पुरानी बीमारियों के कारण भी किडनी के कार्य प्रभावित होती है । लेकिन अब संक्रामक बीमारी के कारण भी किडनी के मरीज बढ़ रहे है । अतः किसी भी लक्षण को नजर अंदाज न करें । मधुमेह व हायब्लप्रेशर को नियंत्रण में रखें, नशे की लत से बचें, अपने मन से दवा न लें, डॉक्टर से परामर्श जरूर ले ।
प्रस्तुत अंक में किडनी विकारों के कई कारण व प्रकारों के वर्णन के साथ-साथ आयुर्वेदिक पक्ष रखने का अथक प्रयास किया है । इसके अलावा किडनी विकारों के लिए उपयुक्त आहार औषधि, पंचकर्म, योग का भी वर्णन किया है आशा है आप इसे पढ़कर लाभान्वित होंगे और किडनी विकारों से ग्रस्त रुग्णो के लिए यह अंक लाभकारी सिध्द होगा । किडनी विकार से बचाव हेतु अपने आहार-विहार को व्यवस्थित रखें, नियमित योगाभ्यास कर तनाव से बचें । शुभकामनाओं के साथ !!