संचार क्रांति का वाहक इंटरनेट आज चिकित्सा के क्षेत्र में क्रांति का सूत्रपात करने के साथ-साथ अनेक मानसिक बीमारियों और सामाजिक समस्याओं का भी वाहक बन गया है। एक नवीनतम अध्ययन से निष्कर्ष निकला है कि इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले लोगों में सेक्स साइटों पर बार-बार जाने की इच्छा, पारिवारिक एवं सामाजिक अलगाव, पारिवारिक एवं दाम्पत्य जीवन से कट जाने और इंटरनेट का इस्तेमाल करने के लिए तड़के जागने जैसी समस्याएँ बढ़ रही है। इन कारणों से तनाव, अनिद्रा, डिप्रेशन और चिड़चिड़ापन जैसी मानसिक बीमारियाँ बढ़ रही है। 

विश्व भर में एक करोड़ दस लाख इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले लोगों के बीच किये गये सर्वेक्षण से यह निष्कर्ष निकला है। इंटरनेट के कारण पारिवारिक जीवन में तनाव एवं टकराव तथा तलाक के मामले तेजी से बढ़ रहे है। अमेरिका जैसे विकसित देशों में इंटरनेट विधवाओं का एक नया वर्ग पैदा हो रहा है। इंटरनेट- विधवा शब्द का इस्तेमाल उस औरत के लिए किया जाता है जिसके पति पत्नी और बच्चों को पूरी तरह भूल कर दिन-रात इंटरनेट में खोये रहते हैं।

इंटरनेट एवं कम्प्यूटर के बढ़ते इस्तेमाल के कारण गर्दन, कंधे और पीठ में दर्द के अलावा आँखों पर तनाव की समस्या भी बढ़ रही है। चिकित्सकों ने इसे सी.टी.एस. अथवा कार्पल टनेल सिंड्रोम का नाम दिया है। इसमें कलाई दर्द शुरू होता है और कंधे एवं गर्दन तक पहुँचा जाता है। यह दर्द बहुत तीव्र होता है। यह समस्या अगर लंबे समय तक कायम रहे तब नसों में गुच्छे बन जाने का खतरा रहता है। हाल के दिनों में यह समस्या तेजी से बढ़ी है। अधिक देर तक कम्प्यूटर पर काम करने से सर्वाइकल स्पोंडलाइटिस की समस्या भी बढ़ती है। कम्प्यूटर के अधिक इस्तेमाल से जुड़ी हुई एक गंभीर स्थिति में इन अंगों से संवेदना चली जाती है।

इंटरनेट के बढ़ते इस्तेमाल के कारण आँखों में स्ट्रेन, पानी आने तथा मायोपिया जैसी समस्याओं तथा नेत्र अंधता की समस्याएँ तथा नेत्र चिकित्सक का कहना है कि कम्प्यूटर के पास बैठकर अधिक देर तक इंटरनेट का इस्तेमाल करने का मतलब दो हाथ की दूरी से लगातार टेलीविजन, इंटरनेट एवं वीडियो गेमों जैसे दृश्य माध्यमों पर अधिक निर्भर रहते हैं जिसके कारण आँखों पर अधिक जोर डालने वाले मनोरंजन एवं जानकारी के आधुनिक तौर-तरीकों तथा माध्यमों की वजह से आँखों से जुड़ी सिलियरी कोशिकाओं में खिंचाव पैदा होता है। टेलीविजन, वीडियो एवं कम्प्यूटर जैसी पास रखी वस्तुओं को देखने के लिए सिलियरी कोशिकाओं को सिकुड़ना पड़ता है ताकि नेत्र लैंस का पावर बढ़ जाये।

स्वास्थ्य वाटिका डेस्क

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