विश्व स्वास्थ्य संगठन की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक समूची दुनिया में लाखों लोगों की मौत की वजह, नशा खोरी की लत है। अकेले तंबाकू के सेवन से इसमें पाये जानेवाला निकोटिन नामक घातक पदार्थ 10 दिन तक इंसान के रक्त में घुला रहता है जिससे 25 गुना कैंसर फैलने का खतरा मंडराता रहता है। बल्कि इसके धुंए से हमारे फेफड़े व दिमाग पर सीधा असर पड़ता है। इसके धुएं में पाई जाने वाली कार्बन मोनो आक्साइड गैस हमारे खून में आक्सीजन का लेवल घटा देती है जो कि हमारे मस्तिष्क व मांसपेशियों को प्रभावित करती है। इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता घटती है तो टी. बी. होने का खतरा बढ़ जाता है तंबाकू व शराब में मिले घातक रसायनों से हमारी दृष्टि सर्वाधिक बाधित होती है जिससे मोतियाबिंद तथा ग्लूकोमा जैसी बीमारियों से मरीज को सामना करना पड़ता है।
आज समूचे विश्व में ज्यादातर लोग, विशेषकर युवा पीढ़ी जिस तरह से व्यसनों के दुष्चक्र में फंसकर न केवल अपने मानसिक बल्कि समूचे शारीरिक स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने पर आमादा है.. किसी भी नशे की लत कोई नई बीमारी नहीं हैं अपितु सदियों से इसका सेवन किसी न किसी रूप में किया जा रहा है। पूरे विश्व में 114 करोड़ लोग मादक द्रव्य पदार्थों के सेवन के आदी है। जिसमें विशेष रूप से तंबाकू का प्रयोग किया जाता है। गांजा, चरस, शराब ताड़ी जैसे घातक मादक व्यसन मनुष्य की शारीरिक क्षमता को तो बाधित करते है वहीं इनका मानसिक स्वास्थ्य पर भी कुप्रभाव पड़ता जा रहा है जिसका सीधा असर मानव की मानसिक विकृति को देखकर सहज ही लगाया जा सकता है। व्यसनों का हमारे जीवन पर कितना दुष्प्रभाव पड़ता है उसके चैंकाने वाले परिणामों पर इंटर नेशनल कमीशन 2 री-इग्नाइट द फाइट अगेंस्ट स्मोकिंग ऐण्ड ड्रिंक्स पर नजर डालें तो पता चलता है कि मादक द्रव्य व्यसन हमारे लिए कितने घातक हैं।
आज के युग में नशाखोरी का भूत युवापीढ़ी व नवयुवतियों पर किस तरह सवार है इसका खुलासा- इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल, रिसर्च द्वारा किये गये सर्वे से पता चलता है हमारे देश में विभिन्न विश्वविद्यालयों तथा होस्टलों में रहने वाले विद्यार्थियों में तंबाकू, शराब, नींद की गोलियां, ड्रग्स, चरस, गांजा व युवतियों में गर्भनिरोधक गोलियां लेने से उन के मानसिक विकास में रुकावट पैदा होती है। यही नहीं अपितु नशाखोरी करने से मुँह, गले व स्तन तथा गर्भाशय कैंसर होने की क्षमता बढ़ जाती है। व्यसन चाहे कैसा भी हो यह बात तो तय है कि इससे न केवल मानसिक बल्कि मनोवैज्ञानिक समस्याएं भी बढ़ती हैं जैसे- चिड़चिड़ापन, गुस्सा, बैचेनी तथा अवसाद आदि का भी अनुभव होता है जो कि जान लेवा भी साबित हो जाता है। नशे के आदी व्यक्तियों में शारीरिक संकेत-लाल आँखें. नींद के पैटर्न में व्यवधान दिखाई देते हैं। व्यसनों का प्रभाव मानसिक स्थिरता पर भी पड़ता है जिससे मानसिक विकलांगता बढ़ती है। नशे की आदतों से व्यक्ति के व्यवहार में परिवर्तन आते हैं जिससे वह प्रायः अलग-थलग पड़ जाता है। जिससे निर्धारण, व्यवहार, या सीखने की क्षमता या जीवन की सामान्य धारा को पूरा करने की क्षमता में भारी गिरावट देखने को मिलती है। मानसिक स्वास्थ्य पर व्यसनों के प्रभाव से व्यक्ति अपनी क्षमताओं से नियन्त्रण खो बैठता है जिससे वह पुर्ण्तया अक्षम साबित हो जाता है। व्यसनों का निरन्तर उपयोग करने से मनुष्य अपने बच्चों, जीवन साथी, रिश्तेदारों व सहकर्मियों को भी प्रभावित करता है। इससे सामाजिक अलगाव की समस्या भी बढ़ती है। मादक द्रव्य व्यसनों के उपयोग से हमारे स्वास्थ्य, सुरक्षा विकास व मानसिक शांति प्रभावित होती है। हमारे सोचने व समझने की शक्ति क्षीण हो जाती है।
मादक वस्तुओं के प्रभाव से हमारा स्नायुतंत्र का पेशियों पर नियन्त्रण कम हो जाता है। नशा मस्तिष्क को इस कदर प्रभावित करता है कि व्यक्ति नशा नहीं मिलने पर स्वयं को भी नुकसान पहुँचाने की कोशिश करता है। इससे गैर संक्रामक रोग भी बढ़ते हैं। व्यसनों का आदी व्यक्ति अपना समग्र पतन करने की दिशा में निरन्तर बढ़ता रहता है। इनके सेवन से शरीर में अस्थमा, गुर्दारोग, श्वसन संबंधी रोग तेजी से बढ़ते हैं। नशे में चूर व्यक्ति मानसिक रूप से बीमार तो होता ही है तो कभी कभार उसे पागलपन के दौरे भी पड़ने लगते हैं। मादक द्रव्यों का सेवन मनुष्य के स्वस्थ जीवन में विकार के तुल्य ही माना जाता है। हमारे मानसिक स्वास्थ्य को मादक द्रव्य जिनमें उत्तेजक दवाएं आपको उदास, चिंतित और व्याकुल बना सकती हैं। कोकीन जैसा पदार्थ मानसिक स्वास्थ्य को सर्वाधिक प्रभावित करता है जिससे मनोविकृति और सिजोफ्रेनिया को ट्रिगर करता है। यहाँ तक कि मैजिक -मशरूम जैसी हेलुसीनेजिक दवाएं किसी भी मानसिक स्वास्थ्य समस्या को गंभीर रूप से बदतर बना सकती हैं।
कुल मिलाकर मानसिक स्वास्थ्य पर व्यसनों के प्रभाव से शारीरिक निर्भरता की तुलना में मानसिक निर्भरता अधिक होती है जो अचानक बन्द होने पर मानसिक अवसाद को उत्पन्न करते हैं जिससे व्यक्ति की स्थिति भयावह हो जाती है। मादक द्रव्य व्यसनों के बढ़ते दायरे से प्रभावित हमारी नौजवान पीढ़ी निश्चय ही मानसिक तनाव एवम् सही मार्गदर्शन के अभाव में भटक कर क्षणिक आनन्द प्राप्ति हेतु मादक पदार्थों की ओर आकर्षित हो अपना ही नहीं अपितु परिवार समाज व राष्ट्र का जीवन दाँव पर लगा रहें है। जो कि सामाजिक विडम्बना ही माना जायेगा। व्यसनों के प्रभाव से मनुष्य की स्मरण शक्ति, सीखने और तार्किक बात की क्षमता नष्ट हो जाती है। सच तो यह है कि हमारी सामाजिक रुकावटों के अभाव के कारण अब व्यसनों को सरलता से अपनाई जाने वाली आदत सी बन गई है। इसी आदत के चलते हमारे देश में प्रतिवर्ष 10 लाख लोगों की मौत हो रही है। यह भी चैंकाने वाला तथ्य है कि अकेले तंबाकू जैसे घातक व्यसन से हर साल 60 लाख लोग मृत्यु के आगोश में समा रहें हैं तो सन् 2030 तक मादक द्रव्य व्यसनों के सेवन से होने वाली मौतों का आकड़ा एक करोड़ को भी पार कर जायेगा। आपको यह जानकर भी हैरानी होगी कि मादक द्रव्य व्यसनों में तीन हजार से ज्यादा रासायनिक यौगिक हैं, इनमें 29 रसायन कैंसर जैसी घातक बीमारी इंसानों को जकड़ रही है। अब सोचना है कि आपका यह धीरे-धीरे शौक लत में परिवर्तित होकर कितनी शीघ्रता से आपको मौत के मुहाने तक पहुँचाने में बेताब है!
चेतन चैहान
महामंदिर गेट के निकट
जोधपुर (राज.)