स्नेही पाठकगण, प्रणाम….!

‘पहला सुख निरोगी काया’ इस उक्ति से हम सभी चिर परिचित है परंतु काया या शरीर के स्वस्थ रहने के साथ -साथ मन का भी स्वस्थ रहना उतना ही आवश्यक है । दरअसल हम शरीर को स्वस्थ रखने के लिए प्रयासरत रहते हैं पर मन को स्वस्थ रखने हेतु हम कम ध्यान देते हैं जबकि शरीर और मन एक दूसरे से परस्पर जुड़े हुए हैं ।

कोविड काल में हमने ये अनुभव कर लिया कि शारीरिक तकलीफों के कारण हमारा मन कितना विचलित था । हम कितने तनावग्रस्त हो गए थे । एक प्रकार का भय सबके मन में बैठ गया था। उस समय कितनों ने अपने परिजनों, मित्रों को खोया। वह मंजर याद कर आज भी सिहरन सी उठती है । कोविड के बाद तो हमारा मानसिक स्वास्थ्य और ज्यादा कमजोर होता नजर आ रहा है । अतः आवश्यकता है खुद के मानसिक स्वास्थ्य को उत्कृष्ट बनाने की । ये सब विचार करने के बाद ही स्वास्थ्य वाटिका का प्रस्तुत अंक-मानसिक स्वास्थ्य विशेषांक आपके हाथों में दे रहे हैं । आशा है इसे पढ़कर आप अवश्य लाभान्वित होंगे ।

मानसिक स्वास्थ्य लोगों को जीवन के तनावों से लड़ने, अपनी क्षमताओं का एहसास करने, अच्छी तरह से सीखने, सही तरह से काम करने और समाज में योगदान करने में सक्षम बनाता है. यह हमारे सोचने, महसूस करने और कार्य करने के तरीके को प्रभावित करता है । आंकड़ों के अनुसार 19.73 करोड़ भारतीय यानि लगभग हर 7 में से एक किसी मानसिक समस्या से पीड़ित है जिनमें लगभग करोड़ डिप्रेशन एवं इतने ही एंग्जायटी डिसऑर्डर के मामले हैं ।

मानसिक रोग व्यक्ति की सामाजिक, पारिवारिक, पेशेवर जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं । प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मानसिक बीमारियों का असर उसके शारीरिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। वर्तमान समय में इनका इलाज संभव है तथा समय पर ली गई उचित मनोचिकित्सकीय सलाह से हम ऐसे व्यक्ति को एक सामान्य एवं सकारात्मक जीवन जीने में मदद कर सकते हैं ।

मानसिक स्वास्थ्य को बरकरार रखने के लिए हम अपने आहार-विहार पर ध्यान दें तो निश्चित ही हम संपूर्ण स्वास्थ्य के हकदार रहेंगे । स्वास्थ्य वाटिका के Mental Health Special प्रकाशित करने का उद्देश्य ही यह है कि आप स्वयं को शारीरिक के साथ-साथ मानसिक रूप से स्वस्थ, सशक्त व सुदृढ़ बनाएं । दीपावली व नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ………..

डॉ. जी. एम. ममतानी


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