आज की तेज रफ्तार जिंदगी में लोगों के पास ठीक से खाना खाने तक का समय नहीं होता और जिसके परिणामस्वरुप बडे़-बड़े शहरों में जग ह-जग ह फास्ट फू ड की चलती-फिरती गाड़ियॉ या स्टॉल नजर आ जाते हैं । लंच टाइम में अपने कार्यालयों से बाहर निकले लोग इन स्टॉलों और गाड़ियों की तरफ तेजी से बढ़ते हैं और शीघ्र ही पेट में कुछ डालकर अपने काम में पुनः जुटने के लिए भागते नजर आते है । फास्ट फूड की बिक्री का अधिक प्रचलन का मुख्य कारण है कम पैसे में पेट भराऊ खाने को जल्दी से उपलब्ध कराना । भोजन मे रेशेवाले पदार्थो को शामिल करने से शरीर में कम मात्रा मे कोलेस्ट्राल बनता है । इससे कई प्रकार के रोगों से बचा जा सकता है । अतः भोज्य पदार्थों मे रेशेदार पदार्थों को अधिक से अधिक शामिल करना चाहिए।
आहार मे चर्बीयुक्त पदार्थों का अधिक सेवन करने की वजह से अम्लता, आमवात, संधिवात, मधुमेह, हृदयरोग और बडी़ आंत में कैंसर वाले रोगियों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इसी संदर्भ में हमारे बुजुर्गों का भी यह कहना है कि उम्र बढ़ने के साथ आंते कमजोर हो जाती हैं जिससे पाचन क्रिया बंद हो जाती है। फलस्वरुप शरीर को अनेक तरह की व्याधियां घेर लेती हैं।
हमारे शरीर में दो प्रकार के पदार्थ पाचन क्रिया में बनते हैं एक वे जो शरीर के लिए लाभप्रद होते हैं और शरीर की कोशिकाओं की कार्यपद्धति के अनुसार उसमें शामिल होकर उसके बढ़ने मे लग जाता है दूसरा शरीर की अवशिष्ट पदार्थ यानी मल होता है यदि वह शरीर से बाहर नहीं निकलता है तो शरीर के लिए नुकसानदेह बन जाता है। इसके परिणामस्वरुप कोष्ठबद्धता, रक्त वाहिनियों का संकुचित होना, बड़ी आंत का कैन्सर, बवासीर और इसी तरह की अन्य बीमारियां उत्पन्न होती है। यही नहीं इसके कारण गाल ब्लैडर में पथरी और हर्निया जैसे रोग भी हो जाते है।
समय समय पर किये गये विभिन्न शोध अनुसंधानों से यह ज्ञात हुआ कि रेशेवाले भोज्य पदार्थों को ग्रहण नहीं करने से अनेक बीमारियां जन्म लेती है। कभी कभी यह बीमारियां असाध्य भी हो जाती है।
साधारणतः हमारे भोजन में जो पौष्टिक तत्व शामिल होते हैं इनमे दो प्रकार के रेशे होते हैं इनमे एक घुलनशील और दूसरे अघुलनशील होते हैं। अघुलनशील रेशे गेहूँ से प्राप्त किए जाते हैं जबकि घुलनशील रेशों को सब्जियों जैसे पालक, फली, गाजर और फलों जैसे नाशपाती, केला, सेब, नारियल आदि से हासिल किया जा सकता है। दोनों ही प्रकार के रेशे ऑतों की कुछ रोगों जैसे कब्ज, कोलेस्ट्राल नियंत्रण, मोटापा आदि को रोकने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।
विभिन्न शोधों से यह भी ज्ञात हुआ है कि रेशे वाले भोज्य पदार्थो का सेवन नहीं करने से आज शरीर में विभिन्न बीमारियां निरंतर जन्म लेती है।
बीमारियों से बचाव के लिए आहार में बदलाव लाऍ, रिफाइंड भोजन के स्थान पर गेहूं का आटा, चोकरयुक्त जा का आटा, दालें, आलू, खजूर, मटर नियमित लें। इसके अलावा सभी फल जैसे सेब, अंगूर, बिना छीली संतरे की फांके, नियमित लेते रहें। इस प्रकार आंतों के कैन्सर से बचाव हो सकता हैं और हृदय रोग से भी बचा जा सकता हे।
विभिन्न शोधों में जापान के उन क्षेत्रों के निवासियों को शामिल किया गया है जो अपने भोजन में नियमित रेशेवाले पदार्थ लेते है। शोधकर्ता ने पाया कि उन लोगों के हृदय मजबूत होते हैं और उन्हे हृदय रोग से संबंधित बीमारियां नहीं होती है इसके विपरीत अमेरिका में हृदय रोग से पीड़ित व्यक्तियों की संख्या कहीं अधिक थी। अमेरिका के निवासियों में अधिक हृदय रोग होने का कारण रेशेदार भोज्य पदार्थ का नियमित सेवन नहीं करना है जिसकी वजह से उनके रक्त में चर्बी और कोलेस्ट्राल बढ़ जाता है जिससे उन्हे उच्च रक्तचाप की शिकायत होती है।
यदि भोजन में रेशेदार भोज्य पदार्थ को अधिक मात्रा में शामिल किया जाए तो कोलेस्ट्राल कम बनता है इसके साथ ही धमनियों की कार्यक्षमता भी बढ़ती है और वे मजबूत हो जाती है।
रेशेदार भोज्य पदार्थो के लाभों को जानने के बाद हमारे मन में यह उत्सुकता स्वाभाविक है कि रेशेदार भोज्य पदार्थ क्या है और इसका सेवन हमें बीमारियों से किस तरह बचाता है। साधारणतः हम जिस तरह का भोजन लेते हैं उनमें से प्राकृतिक रेशों को निकाल दिया जाता है और गेहूं के आटे में भी यह गायब हो जाता है।
रेशेदार भोजन जैसे चैकरयुक्त जौ का आटा, खजूर, मटर, दालें, आलू, साथ ही सभी फल सेब, अंगूर, मटर बिना छिली संतरे की फांके शामिल है।
इस प्रकार अपने भोजन में रेशेवाले भोज्य पदार्थों को शामिल करके हम उच्च रक्तचाप और इसी तरह की अन्य बीमारियों से बचा सकते है।