आज मानवता की उन्नति अपने साथ कई नई और गैर संचारी (Non-Communicable) बीमारियों का बोझ लेकर आती है। ’हृदय रोग’ कई गैर संचारी रोगों में से एक है जो हमारे समाज में बढ़ रहा है। विशेषतः युवाओं में हृदय रोग की घटनाओं में भारी वृद्धि हुई है। यह जीवन शैली में बदलाव, खान-पान की आदतों, व्यायाम की कमी और मनोवैज्ञानिक कारकों (Psychological Variables) के कारण होता है जिनमें मानसिक दबाव और तनाव यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। आधुनिक चिकित्सा आपातकालीन (Emergency) देखभाल में उत्कृष्टता प्राप्त करती है लेकिन जब कुशल निवारक (च्तमअमदजपवद) देखभाल की बात आती है तो यह असफल हो जाती है।

हृदय मानव शरीर में त्रिमर्मो में से एक है और आयुर्वेद में इसके संरक्षण के लिए विशेष देखभाल करने पर महत्व दिया जाता है। आज हर तरह की बीमारियों के इलाज और जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए कई उन्नत प्रकियाएं है लेकिन “Prevention is better then cure” यह एक महत्वपूर्ण नियम है। कई दवाइयां, योग, पथ्य, अपथ्य, दिनचर्या(Daily regime), ऋतुचर्या(Seasonal regime), रात्रिचर्या(Night regime), सद्वृत्त (Good conduct)। आयुर्वेद द्वारा हृदय संबंधी बीमारियों को रोकने के लिए उपयोग की जानेवाली कुछ निवारक रणनीतियां है जो किसी के जीवन को सुधार सकती है।

हृदय रोग होने के कारण
  1. Sedentary lifestyle
  2. Hypetension (उच्च रक्तपाच)
  3. Diabetes
  4. Obesity/overweight (अधिक वजह होना)
  5. Smoking (धूम्रपान)
  6. Alcohol consumption
  7. Dyslipidemia/ Lipid disorder
  8. Day Sleeping (दिन में सोना)
  9. Lack of Physical exercise /activity (शारीरिक गतिविधि की कमी)
  10. Excessive & frequent intake
  11. Excessive intake of sweet, cold, heavy food items
  12. मानसिक तनाव में वृद्धि
  13. पर्यावरण परिवर्तन
हृदयरोग के लक्षण

1. सीने में दर्द और पसीना आना दिल कमजोर होने के लक्षण है। 2. पीठ और पेट में लगातार दर्द होना। 3. सीने में दर्द के साथ उल्टियां होना। 4. सीने में भारीपन। 5. जबड़े और पीठ में दर्द । 6. पैरों में सूजन। 7. सांस लेने में परेशानी। 8.घबराहट होना, बेचैनी महसूस करना। 9. चक्कर आना । 10. धड़कन में तेजी से वृद्धि

पथ्य पालन
  1. आहार का समय पर सेवन
  2. पुराने कटे हुए अनाज, जौ (यव), ज्वार, गेहूं का आटा
  3. करेला, हरी सब्जियाँ, हल्दी का उपयोग करे
  4. अपने दैनिक आहार में लहसुन की 2-4 कलियों को शामिल करें। यह खराब कोलेस्ट्रॉल को प्रभावी ढंग से कम करने के लिये जाना जाता है।
  5. खट्टे पदार्थ जैसे आँवला, इमली या आपकी पसंद का कोई अन्य प्राकृतिक खट्टा घटक लें। यह विटामिन-सी एक anti-oxidant है। ( अम्ल खट्टे पदार्थ ज्यादा मात्रा में लेने से पित्त बढ़ा सकते है। इसलिए मात्रा का ध्यान रखे)
  6. फल जैसे अमरूद, संतरा, जामुन,चेरी जैसे पदार्थ रक्त को पतला करते है और Atherosclerotis (कोलेस्ट्रॉल हृदय की धमनियों में थम जाना) से बचाते है। खट्टी छाछ, खट्टी दही, खट्टा अनार, नींबू भी भोजन के अच्छे विकल्प है।
  7. हींग, धनिया, जीरा, खजूर, किशमिश को भी हृदय के लिए उपयोगी माना है।
  8. चावल कार्बोहाइड्रेट से भरपूर भोजन और तले भोजन का सेवन कम करें।
  9. नियमित व्यायाम खासकर टहलना, योग, ध्यान आदि का नियमित अभ्यास करें।
  10. नमक का सेवन कम करें।
  11. शराब से परहेज। धूम्रपान ना करें।
  12. शाली धान्य, मूंग, जांगल मांस रस, पटोल
  13. समय पर सोना
योगासन

ताड़ासन, वृक्षासन, त्रिकोणासन, वीरभद्रासन, दंडासन, उत्कटासन, भुजंगासन, शवासन प्रत्येक योग मुद्रा का श्वसन तंत्र पर विशेष प्रभाव पड़ता है और इसलिए यह हृदय को भी प्रभावित करता है। योग रक्तचाप को कम करने, फेफड़ो की क्षमता बढ़ाने, खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने, हृदय गति में सुधार करने, रक्त परिसंचण को बढावा देने के लिए जाना जाता है।

अपथ्य
  1. दिन में सोना और अत्याधिक सोना
  2. शराब का सेवन
  3. लंबे समय तक उपवास
  4. कोल्ड ड्रिंक्स, आइसक्रीम, बर्गर-पिज्जा और अन्य फास्ट फूड आदि
  5. ज्यादा चिंता, अत्याधिक सोच, तनाव
  6. अत्याधिक शारीरिक थकावट
  7. पचने में भारी भोजन का नित्य सेवन
  8. नमक का अत्याधिक सेवन
टिप्स

1. सक्रिय बने
2. धूम्रपान न करें
3. कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करें।
4. रक्तचाप को नियंत्रित रखें और वजन घटाएं
5. ब्लड शुगर कम करें
6. शराब का सेवन कम करें
7. हार्ट अटैक के बारे में जानें।

कु. मानसी दिवे
दत्ता मेघे आयुर्वेदिक कॉलेज, नागपुर

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