आज की भागदौड़ भरी जिन्दगी में जिसका हृदय स्वस्थ है वहीं लम्बे समय तक जीवन जीता है लेकिन विषम परिस्थितियों में वर्तमान दशा व दिशा पर गौर करें तो हम स्वस्थ रहने के लिए रोज की दिनचर्या से पूरी तरह से लापरवाह हो चुके हैं। प्राकृतिक संसाधनों से हम पूरी तरह से कट चुके हैं यही वजह है कि ग्रामीण क्षेत्रों की अपेक्षा शहरी लोग हृदयाघात से कहीं ज्यादा पीड़ित हैं।

पिछले कुछ वर्षों से हृदय रोगियों की संख्या में तेजी से होता इजाफा अब प्रत्येक व्यक्ति के लिए चिंता का विषय बन गया है। एक समय ऐसा भी था जब उम्रदराज लोग हार्ट अटैक का शिकार हो जाते थे लेकिन अब तो 25 वर्ष से 40 वर्ष तक के युवा वर्ग में कार्डियक अरेस्ट आना सामान्य सा हो गया है। आये दिन सुनने को मिलता है कि अमुक व्यक्ति के हृदय में 80% या 90% ब्लाकेज की शिकायत पाई गई है। ब्लाकेज से हमारा तात्पर्य यह है कि हृदय तक रक्त सप्लाई करने वाली रक्तधमनियों में जमाव होना है। जब धमनियों में रक्त के कतरे जम जाते हैं तब मनुष्य की छाती में बांई ओर दर्द व भारीपन महसूस होने लगता है। इसका कारण हमारे शरीर में प्रवाहित रक्त में ट्राइग्लिसिराइड की मात्रा बढ जाती है व खून गाढ़ा हो जाता है। उसमें थक्के बनने लगते हैं। जिसकी वजह से हृदय तक खून व ऑक्सीजन नहीं पहुँच पाती है। फलस्वरूप हमारे मस्तिष्क को भी रक्तप्रवाह आसानी से नहीं मिल पाता है। नतीजा, रोगी को हार्ट अटैक का सामना करना पड़ता है कई मर्तबा तो रोगी असहनीय दर्द से कराह उठता है व उसकी मृत्यु तक हो जाती है।

आज की भागदौड़ भरी जिन्दगी में जिसका हृदय स्वस्थ है वहीं लम्बे समय तक जीवन जीता है लेकिन विषम परिस्थितियों में वर्तमान दशा व दिशा पर गौर करें तो हम स्वस्थ रहने के लिए रोज की दिनचर्या से पूरी तरह से लापरवाह हो चुके हैं। प्राकृतिक संसाधनों से हम पूरी तरह से कट चुके हैं यही वजह है कि ग्रामीण क्षेत्रों की अपेक्षा शहरी लोग हृदयाघात से कहीं ज्यादा पीड़ित हैं। आज हमारा खान-पान पूरी तरह से बदल चुका है जिससे आम लोगों में मोटापा, ब्लडप्रेशर, शुगर व कोलेस्ट्रॉल तेजी से घर कर रहा है जो शीघ्र ही हमारे स्वस्थ शरीर को बीमार बना रहा है। भोजन के साथ हम वसायुक्त चीजों का सेवन भरपूर कर रहे हैं जो हमारे शरीर मे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को बढ़ा रहा है। एक जमाना ऐसा भी था जब दिल के दर्द व उसके मर्ज की पहचान इतनी आसान न थी जितनी कि अब चिकित्सा विज्ञान ने कर ली है। हृदय रोगविशेषज्ञों की मानें तो जिन लोगों के जीवन में भागदौड़ की अधिकता है उन्हें हृदय रोग होने का खतरा ज्यादा है।

वर्तमान समय में हृदय रोग का इलाज नये संसाधनों से काफी सुगम हो गया है यानि कि हृदय प्रत्यारोपण अब सामान्य सा उपचार हो गया है। अनेक चिकित्सकीय परीक्षणों में पाया गया है कि दिल का दौरा पड़ने पर दवाइयों पर निर्भर रहने वाले तथा वे लोग जिनकी एंजियोप्लास्टी अथवा बाईपास सर्जरी हो चुकी है, यदि वे अपना खानपान एवं जीवनशैली में बदलाव लाते हैं तो निश्चय ही उनके अधिक समय तक स्वस्थ रहने की संभावना बढ़ जाती है। तनाव मुक्त जीवन और मानसिक नियन्त्रण हृदय रोगी के लिए बहुत जरूरी है‘ इनका अभ्यास कठिन अवश्य है परन्तु असंभव नहीं है जीवन शैली में परिवर्तन से जटिल हो चुके हदयरोग में सुधार की संभावना बलवती होती है। स्वस्थ जीवन शैली अपनाने से रक्त प्रवाह में सुधार व धमनियों के अवरोध कम होने के प्रमाण मिले हैं। सही व शुद्ध खानपान से एंजाइना का दर्द उठने की आशंका भी कम होती है। रक्त में कोलेस्ट्राल की मात्रा नियंत्रित करने में कई मर्तबा दवाइयों से कहीं अधिक लाभ सही खानपान से होता है। खानपान संयत जीवन शैलीए सहनशक्ति के अन्तर्गत शारीरिक श्रमए प्रतिदिन तीन चार किलोमीटर घूमना तथा मानसिक एवं भावनात्मक परिष्कार शारीरिक संतुलन से कहीं अधिक लाभ पहुंचाता है। हृदय रोगियों के लिए यह सलाह महत्वपूर्ण है कि डॉक्टर जिन दवाइयों की अनुशंसा करता है उनमें अपनी मर्जी से फेरबदल न करें। दवा नियत समय पर लें व समय. समय पर डॉक्टर की सलाह पर हृदय संबंधी जांचे अवश्य करवायें व अपने डॉक्टर से रूबरू होए यदि कोई शिकायत भी है तो उसे नजरअंदाज न करें बल्कि डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें। हृदय रोग व सही समय पर इलाज लेना अब कोई जटिल समस्या नहीं हैए चूंकि हृदय रोग की चिकित्सा के बाजार में अनगिनत अस्पताल खुल गये है। सरकारी व गैर सरकारी अस्पतालों में केन्द्र व राज्यसरकारों की अनुशंसा से गरीब मरीजों के लिए भी राह आसान हो गई है। लम्बे स्वास्थ्य के लिए दिले नांदा की संभाल करना जरूरी है और इसके लिए यदि हम अपनी दृढ इच्छाशक्ति को मजबूत रखने में कामयाब हो जाते हैं तो रोगमुक्त जीवन जी सकते हैं। हृदयरोग की रोकथाम हेतु अथक प्रयास की जरुरत नहीं है बल्कि इसके लिए नियमित शारीरिक व्यायामए भोजन में विभिन्न मौसमी फलए कच्ची तथा उबली सब्जियांए सलादए मोटा अनाजए चिकनाई रहित दूध प्रतिदिन दही या मट्ठाए व हर्बल टी सेवन करने के साथ.साथ तला भुनाए नमक व चीनी व शराबए तम्बाकू को उपयोग में लाना पूरी तरह से बन्द करना पड़ेगा जो व्यक्ति नित्य ध्यान और योगासन करते हैं उनमें चेतना जागृत होती है साथ ही रोगप्रतिरोधी क्षमता का विकास होता है। इन सबके अलावा हमें अपनी शारीरिक एवं मानसिक क्षमता को भी पहचानना चाहिए।

हृदय रोग विशेषज्ञों की मानें तो शीत ऋतु में प्रातः 4 से 10 बजे तक ज्यादा हार्ट अटैक की संभावना बनी रहती है चूंकि शीत के प्रकोप से हमारी रक्तवाहिनियाँ सिकुड़ती हैंए रक्त प्रवाह बाधित होता है व इसका सीधा असर दिल व मस्तिष्क पर होता है। अतः शीत ऋतु में हृदयरोगी धूप निकलने के बाद ही प्रातः कालीन भ्रमण पर निकलें व ठंड से पूरा बचाव करें। गर्मपानी का सेवन करने के साथ ही गर्म पानी से ही नहाएं। रक्त को पतला करने और कोलेस्ट्रल कम करने वाली दवाइयां आवश्यकतानुसार ही लें चूंकि इनसे साइड इफेक्ट का खतरा बना रहता है भले ही दिल का दौरा पड़ने का खतरा कम हो जाता है लेकिन इससे अन्यरोग भी पनपते हैं। इसलिए जहाँ तक हो सके हृदयरोग को बचाने वाली जीवनशैली को अपनाएं। तनाव मुक्त जीवन जीने की आदत डालेंए धैर्य रखेंए निराशावादी न बनें। स्वभाव में उग्रता से बचें क्योंकि इससे आप हृदयरोग के शिकार हो सकते हैं। गहरी सांस लेने व उसे धीरे.धीरे छोड़ने का अभ्यास रोज करें। हृदय रोगी रात्रिकालीन भोजन हल्का व जल्दी करें व टहले अवश्य। हृदय रोग से छुटकारा पाने के लिए जरुरी है कि हम वसा युक्त चीजों का परहेज तीस की उम्र के बाद ही शुरु कर दें जहाँ तक हो सकेए सेबए पपीताए नाशपातीए टमाटर व नींबू का सेवन करें ताकि शरीर में संतृप्त वसा का जमाव न होने पाएं। इन फलों में एंजाइम्सए फाइबरए विटामिन सी तथा एंटी आक्सिडेंटए प्रोटीन तथा मिनरल का समावेश होता है। कुल मिलाकर हमारी जिन्दगी की रफ्तारष् हृदयष् रोके उससे पहले ही दिलेनांदा को सुरक्षित रखा जा सकता है। बशर्ते कि हम दीर्घायु होना चाहते हैं 

चेतन चौहान
जोधपुर (राजस्थान)

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