जरीपटका स्थित जीकुमार आरोग्यधाम के संचालक डॉ. गुरमुख ममतानी को आयुर्वेद चिकित्सा क्षेत्र में किए गए उत्कृष्ट कार्यों हेतु स्मृति चिन्ह देकर ‘‘ जीवन गौरव आयुष श्री अवार्ड -2024 ’’ से सम्मानित किया गया। यह अवार्ड उन्हें लोकमत व अरोमा के द्वारा प्रदान किया गया। कार्यक्रम में डॉ मिलिंद सूर्यवंशी, डॉ सुभाष राउत, डॉ. लुइस जॉन, श्री प्रणय तिड़के व आयुर्वेद जगत से जुडे़ अनेक प्रतिष्ठित चिकित्सक उपस्थित थे। उपस्थित अतिथियों ने डॉ. ममतानी द्वारा भारतीय चिकित्सा पद्धति के प्रचार-प्रसार हेतु किए गए सेवा कार्यों की मुक्त कंठ से प्रशंसा की।
विगत 34 वर्षों से डॉ. ममतानी दंपति अनेक सुविधाओं युक्त ‘जीकुमार आरोग्यधाम’ में आयुर्वेदिक सेवाएं दे रहे हैं व जिससे अनेक असाध्य रूग्ण लाभान्वित हो रहंे हैं। इनके द्वारा स्वास्थ्य वाटिका पत्रिका का प्रकाशन 18 वर्षों से किया जा रहा हैं, जिसे संपूर्ण भारत वर्ष में उत्तम प्रतिसाद मिल रहा हैं। डॉ. ममतानी को इसके पूर्व भी धन्वंतरि सम्मान, मेयर इनोवेशन अवार्ड, लिमका बुक रिकार्ड अवार्ड, आयुष्मान राष्ट्रीय पुरस्कार, ‘आयुर्वेद सारथी’, ‘अमृत संजीवनी’ मॅग्नम अवार्ड, ‘नेताजी सुभाषचंद्र बोस’ पुरस्कार, ग्रामीण आयुर्वेद दीप अवार्ड इत्यादि अनेक राष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाज़ा गया है।
तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब ने प्रधानमंत्री जी श्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी से आयुर्वेदिक पद्धती से आँखो का उपचार करने वाले विश्व के एक मात्र आयर्वेुदाचार्य यु. पी. रत्न ई. प्रो. डॉ. महेन्द्र सिंह बासू को भारत रत्न सर्वोच्च पुरस्कार प्रदान करने की मांग की। तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब सिखो के पाँच तख्तो में से एक है। इससे पहले भी तख्त श्री सचखंड हजूर साहिब गुरु द्वारा नांदेड से डॉ. बासू को भारत रत्न देने की मांग उठ चुकी है ।
यु. पी. रत्न ई. प्रो. डॉ. महेन्द्र सिंह बासू यहाँ बिहार के गरीब मरीजो की आँखो के रोगियों को फ्री चिकित्सा देने के लिये विशेष रूप से आए थे तथा उन्होने तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब के तत्वाधान मे पटना में एक विशेष फ्री आई कैम्प का आयोजन किया जिसमे उन्होने आँखो से जुडी बिमारियो के उपचार और आँखो की जाँच व आयुर्वेदिक दवाईयो फ्री वितरण किया ।इस आई कैम्प की यह खास विशेषता है कि बिना आपरेशन के मोतियाविन्द को ठीक कर पिछले 42 वर्षों से बिना किसी साईड इफेक्ट के सफलतापूर्वक ठीक कर रहे है तथा उससे भी बड़ी बात यह है कि रेटीना का अभी तक पूरी दुनिया में कोई इलाज नही है। आँखो की कोई भी बिमारी हो नजर पुनः पाँच मिनट में आना शुरू हो जाती है।