मूत्रसाद अर्थात ओलीगोयूरीया (Oligourea)। यह मूत्राघात का एक प्रकार है जिसमें मूत्र की बाहर निकलने की मात्रा कम हो जाती है क्योंकि मूत्र में जल की मात्रा कम होती है जिससे जलनयुक्त, सफेद, गाढ़ा मूत्र कम मात्रा में बाहर निकलता है। रुग्ण सम्पूर्ण दिवस में 500 मि.ली. से भी कम मूत्र विसर्जित करता है।

इसका मुख्य कारण डिहायड्रेशन – जलअल्पता है जो जुलाब, उल्टी इत्यादि से उत्पन्न होती है। कम पानी पीना भी इसका एक कारक है। कभी भी रक्तदाब स्थिर ना होने से वृक्क का रक्ताभिसरण सुचारू रुप से ना होने के कारण शरीर में द्रव की कमी होती है, जिससे चक्कर, नाड़ी तीव्र गति से चलना, सिर हल्का लगना इत्यादि लक्षण पाये जाते है। ऐसी अवस्था में डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिये।

हमारे शरीर में वृक्क (Kidney) दो छलनीस्वरूप होती है। जो रक्त से दूषित पदार्थ निकालकर तथा अतिरिक्त द्रव निकालकर शेष भाग मूत्रस्वरूप बाहर निकालती है। वह कुछ स्त्रावों के द्वारा रक्तदाब को नियंत्रित करती है। शरीरोपयोगी ‘ड’ जीवनसत्व (Vitamin D) का अॅक्टिव्ह फॉर्म (Active Form) बनाती है। लाल रक्त कोशिका (RBC) बनाती तथा पी.एच. लेव्हल भी नियंत्रित करती है। रक्त से पोषक तत्वों का शोषण कर शरीर को लाभ पहुँचाती है। इतने महत्वपूर्ण कार्य करने के लिए शरीर में पानी की उचित मात्रा होना अनिवार्य होता है।

सबसे अच्छा पेय सादा पानी बताया गया है। जितनी मात्रा में पानी शरीर में जायेगा, उतना रक्तदाब नियंत्रित होता है, शरीर मुख्यतः आँखों के चारों ओर तथा पैरों की सूजन भी कम हो जाती है, ऐसा अनेक रुग्णों में देखा गया है।

इसी तरह अनेक तरह के सुप और शरबत भी मूत्र का निष्कासन करते है । वृक्कों को स्वस्थ रख अधिक मूत्र निकालने के लिए ककड़ी उत्तम मानी गयी है। तरबूज भी लाभप्रद है। हरे पत्तों की पालक भाजी में जीवनसत्व ष्अष्एष्सीष्एष्केष् ;टपजंउपद ।एब्एज्ञद्धए फोलेट इत्यादि पाये जाते है इनका सोडियम, कैल्शियम, फॉस्फोरस, पोटॅशियम इत्यादि के साथ समतोल बनाए रखने के लिए उचित मात्रा में शरीर में पानी की आवश्यकता होती है। गाजर में बीटा कॅरोटिन यह उत्तम पोषक तत्व होता है जो मूत्र को बाहर निकालने में मदद करता है। प्याज में भी जल की अधिक मात्रा होती है। बादाम भी उपयोगी साबित होता है। नींबू तथा संतरे शरीर में जल की मात्रा बढाकर विषाक्त तत्वों को बाहर फेंकते है।

सेब के रस के सेवन से सूजन, अंगूर रस तथा पपीता के सेवन से रक्तदाब कम करने में मदद होती है। अनार तथा अव्होकॅडो भी प्रयोग में ला सकते हैं। कद्दु, हरड़, नारियल, खजूर, दूध, छाछ का सेवन कर सकते हैं । डिब्बाबंद पदार्थो का सेवन ना करें जिनमें नमक की मात्रा ज्यादा होती है जो पानी को शरीर में पकड़ कर रखनी चाहिए जिसमें रक्तदाब, सूजन बढ़ती है और मूत्र बाहर निकलने में दिक्कत पैदा होती है।

इसलिये जलपान अधिक करें तथा मूत्र का वेग धारण ना करें अर्थात समय पर मूत्र का त्याग करें।

डॉ. चित्रा अशोक गणवीर
एम. डी. (आयु) मुंबई

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