किडनी को स्वस्थ व सुरक्षित तथा ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखने के लिए सही खान-पान तथा उचित व स्वस्थ जीवनशैली बहुत महत्वपूर्ण है। फल, सब्जियां, दाल, पूरे अनाज, प्रोटीन और हाइड्रेशन की दिनभर की मात्रा को बनाए रखें। किडनी के लिए सबसे अच्छा फल तरबूज, केला और सीताफल होता है। धूम्रपान और शराब का सेवन किडनी के लिए हानिकारक हो सकता है इसलिए इनका सेवन न करें। प्रतिदिन उचित मात्रा में पानी पिएं।

किडनी या गुर्दे हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंग है जो सेम के बीज के आकार के दो अवयव होते हैं। किडनी शरीर में अनेक कार्यों में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। मगर इसका सबसे महत्वपूर्ण कार्य यह है कि शरीर में बह रहे रक्त को फिल्टर कर उसमें बह रहे अपशिष्ट पदार्थों को अलग करे ताकि ये गंदगियां मूत्र के साथ शरीर से बाहर निकल जाएं। किडनी का निर्माण नेफ्रॉन नामक घटकों से होता है। ये नेफ्रॉन ही शरीर में रक्त की गंदगी व विष को छानन का काम करते है। छने हुए मूत्र द्वारा शरीर के गंदे व हानिकारक पदार्थ जैसे यूरिया, क्रिएटिनिन, विभिन्न प्रकार के अम्ल इत्यादि बाहर निकल जाते हैं। किडनी, शरीर में पानी व इलेक्ट्रोलाइट्स की मात्रा को संतुलित करने का कार्य करती है जिससे शरीर का तापमान और शरीर के कार्यों का संतुलन बना रहता है। विटामिन ’डी’ को सक्रिय बनाने का काम करता है जो हड्डियों के लिए आवश्यक है। किडनी विषाणुओं और अन्य कीटाणुओं को शरीर से निकालने का कार्य करती है, जो शरीर को संक्रमणों से बचाती है। किडनी रेड ब्लड सेल्स की उत्पत्ति में मदद करती है जिससे शरीर को ऑक्सीजन पहुंचाने में मदद मिलती है तथा रक्त में पोटेशियम लवणों, सोडियम क्लोराइड और अन्य कई रसायनों की मात्रा का नियमन करने का कार्य भी करता है। किडनी के रोग ग्रस्त होने पर उपरोक्त कार्यों में असमर्थता आ सकती है जिससे शरीर के विभिन्न अंग प्रभावित हो सकते हैं। इसलिए किडनी के स्वास्थ्य की देखभाल का ध्यान रखना आवश्यक है।

किडनी पर हाई ब्लड प्रेशर का प्रभाव

शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए किडनी का सुचारू रूप से कार्य करना जरूरी है। हाई ब्लड प्रेशर और किडनी एक दूसरे को प्रभावित करते हैं। अगर किसी व्यक्ति को किडनी रोग है तो उसे हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो जाएगी, वहीं अगर किसी को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है, तो उसे किडनी रोग की समस्या हो जाएगी। अधिकांश किडनी फेल्योर के मामलों में हाई ब्लड प्रेशर ही मूल कारण होता है। हाईब्लडप्रेशर से किडनी के आसपास की रक्तवाहिकाएं कठोर या सिकुड़ जाती हैं। किडनी के फिल्टर्स डैमेज हो सकते हैं और शरीर के अन्य अंग भी प्रभावित हो सकते हैं । ऐसे में रक्तवाहिकाएं किडनी तक पर्याप्त मात्रा में रक्त नहीं पहुंचा पाती और शरीर से मौजूद टॉक्सिन को बाहर निकालने में कठिनाई हो सकती है जिस वजह से किडनी फेल हो सकती है।

ब्लडप्रेशर पर किडनी रोग का प्रभाव

हमारी किडनी या गुर्दे रेनिन के रूप में हार्मोन उत्पन्न करके शरीर के ब्लडप्रेशर को नियंत्रित व संतुलित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह ब्लडप्रेशर को नियंत्रित करने के लिए रक्त में मौजूद विषैले पदार्थों को हटाकर और उचित मात्रा में पानी और अन्य पोषक तत्वों को बनाए रखकर कार्य करती है। इसके अलावा तरल पदार्थों और इलेक्ट्रोलाइट्स के बीच बैलेंस बना रहे, ये भी सुनिश्चित करता है। ऐसे में यदि किसी व्यक्ति को किडनी की परेशानी या रोग होता है तो उसके ब्लडप्रेशर का स्तर भी बढ़ जाता है। जब ब्लड प्रेशर सामान्य स्तर से नीचे आता है तो किडनी रक्तप्रवाह में रेनिन को स्रावित करती हैं जो ब्लड प्रेशर को बढ़ाती है। किडनी अतिरिक्त सोडियम को उत्सर्जित करके शरीर के ब्लड प्रेशर को विनियमित करने में मदद करती है। यदि बहुत कम सोडियम उत्सर्जित होता है तो ब्लड प्रेशर बढ़ने की संभावना होती है। किडनी डाइयूरेटिक का उत्पादन करती हैं जो रक्त वाहिकाओं को संकुचित करने का कारण बनती है और ब्लड प्रेशर को बढ़ाने में मदद करती है। रोगग्रस्त किडनी ब्लडप्रेशर को नियंत्रित करने में कम सक्षम होती हैं। परिणामस्वरूप ब्लडप्रेशर बढ़ जाता है हृदय संबंधी समस्याएं हो सकती है ।

किडनी के रोग ग्रस्त होने के बहुत से कारण व लक्षण

हाई ब्लडप्रेशर या उच्च रक्तचाप किडनी के लिए हानिकारक होता है। डायबिटीज, धूम्रपान करने वालों में किडनी की समस्याएं हो सकती है। अधिक मात्रा में दवाओं का सेवन करना किडनी को प्रभावित कर सकता है। बहुत ज्यादा नमक,फास्ट फूड आदि का सेवन किडनी के लिए हानिकारक हो सकता है। किडनी को रक्त पहुंचाने वाली वाहिकाओं में किसी तरह की रुकावट किडनी की समस्याओं का कारण बन सकती है। रक्त में संक्रमण किडनी को प्रभावित कर सकता है।

किडनी रोग ग्रस्त होने के पहले संकेत में अत्यधिक थकान महसूस करना,त्वचा में सूखापन और खुजली होना, ठीक से नींद ना आना,उल्टी और पीठ के निचले हिस्से में या पेट के पीछे दर्द हो सकता है, बार-बार मूत्र लगना, मूत्र से खून आना, मूत्र से झाग आना, मूत्र का रंग बदल जाना,रात के समय मूत्र ज्यादा होना,आंखों के आसपास सूजन,पैरों और टखनों में सूजन, मांसपेशियों में ऐंठन,वजन बढ़ना,पेट में दर्द होना,सांस लेने में दिक्कत,सीने में दर्द आदि लक्षण हो सकते हैं।

किडनी को स्वस्थ बनाए रखने के महत्वपूर्ण उपाय

किडनी को स्वस्थ व सुरक्षित तथा ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखने के लिए सही खान-पान तथा उचित व स्वस्थ जीवनशैली बहुत महत्वपूर्ण है। फल, सब्जियां, दाल, पूरे अनाज, प्रोटीन और हाइड्रेशन की दिनभर की मात्रा को बनाए रखें। किडनी के लिए सबसे अच्छा फल तरबूज, केला और सीताफल होता है। धूम्रपान और शराब का सेवन किडनी के लिए हानिकारक हो सकता है इसलिए इनका सेवन न करें। प्रतिदिन उचित मात्रा में पानी पिएं।

नियमित रूप से व्यायाम व योगासन करें। वक्रासन, गोमुखासन, पवनमुक्तासन, सूर्य नमस्कार, शशंकासन, उत्तानपादासन, नौकासन, सेतुबंधासन, उष्ट्रासन, भुजंगासन, पश्चिमोत्तासन, शलभासन आदि योगासन योग प्रशिक्षक की देख-रेख में करने से न सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद मिलती है बल्कि किडनी के स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाने में मदद मिलती है।

किडनी समस्याओं के संकेत व रोग ग्रस्त होने पर चिकित्सक से  संपर्क करना अति आवश्यक है। चिकित्सक की सलाह और निर्देशों का पालन करना महत्वपूर्ण है। चिकित्सक द्वारा दी गई दवाओं का सही तरीके से उपयोग करें। नियमित रूप से मेडिकल चेकअप करवाते रहे इससे किडनी के स्वास्थ्य की निगरानी रखने में मदद मिलती है।

डॉ.सुरेश कुमार
M.D.(Ay.)P.G.D.N.Y.Sc.
प्रभारी चिकित्साधिकारी राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय, तेलीबाग, लखनऊ (उ.प्र.)

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